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MP Formation Day 2021: 66वें स्थापना दिवस की थीम "आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश", जानिए मध्य प्रदेश से जुड़ी खास बातें...

मध्य प्रदेश आज 65 बरस का हो गया है और अपना 66वां स्थापना दिवस मना रहा है. राज्य स्तर पर "मध्यप्रदेश उत्सव" का भव्य आयोजन लाल परेड ग्राउंड में शाम 6:30 बजे से होगा. देश के ह्दय स्थल में बसे इस प्रदेश से संबंधित जानिए रोचक बातें.

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Published : Nov 1, 2021, 7:12 AM IST

Updated : Nov 1, 2021, 7:57 AM IST

मध्य प्रदेश आज 65 बरस का हो गया है और आज अपना 66वां स्थापना दिवस मना रहा है
Madhya Pradesh is celebrating its 66th formation day on 1st November 2021

भोपाल। मध्यप्रदेश आज अपना 66वां स्थापना दिवस (Madhya Pradesh 66th formation day) 'मध्यप्रदेश उत्सव' मना रहा है.आज से 65 वर्ष पहले देश के ह्दय स्थल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश की स्थापना हुई थी.

66वें स्थापना दिवस की थीम "आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश"

इस बार मध्यप्रदेश का 66वां स्थापना दिवस "आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश" की थीम पर मनाया जा रहा है. प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि राज्य स्तर पर "मध्यप्रदेश उत्सव" का भव्य आयोजन लाल परेड ग्राउंड में शाम 6:30 बजे होगा. उत्सव का मुख्य आकर्षण प्रसिद्ध पार्श्व गायक मोहित चौहान की संगीतमय प्रस्तुति होगी. साथ ही "आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश" की थीम पर दिल्ली की प्रसिद्ध कोरियोग्राफर मैत्री पहाड़ी के निर्देशन में लगभग 275 साथी कलाकारों की समवेत नृत्य-नाट्य की प्रस्तुति होगी. करीब 45 से 50 मिनट की अवधि के नृत्य-नाटक को ध्वनि प्रकाश माध्यमों से प्रस्तुत किया जाएगा. कार्यक्रम का प्रसारण सीएम मध्यप्रदेश, जनसंपर्क एमपी और संस्कृति विभाग के फेसबुक, ट्वीटर सहित डीडी एमपी चैनल पर किया जायेगा. कार्यक्रमों में कोविड-19 संबंधी गाइड-लाइन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया गया है.

उप चुनाव वाले जिलों में नहीं होगी कार्यक्रम

उप निर्वाचन वाले जिलों को छोड़कर सभी जिला मुख्यालयों पर समारोह आयोजित किया जा रहा है. मुख्य रूप से "आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लिए जन-भागीदारी अभियान" पर केंद्रित गायन, वादन, नृत्य, वाद-विवाद प्रतियोगिता, मैराथन दौड़, रैली, प्रभात फेरी का आयोजन हो रहा है. प्रमुख शासकीय भवनों और ऐतिहासिक इमारतों पर रात में प्रकाश की व्यवस्था की गई है.

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जानिए मध्यप्रदेश से जुड़ी खास बातें...

1.विरासत में मिली संपदा

देश की आजादी के पहले मध्यप्रदेश में कई राजाओं ने शासन किया। राज्य कई रियासतों में बंटा था. राजा-महाराजाओं की विरासत की झलक आज भी मध्य प्रदेश के कोने-कोने में दिखाई देती है. यहां बुंदेल, चंदेल, गुप्‍त, कलचुरी, मराठा राजवंश ने अलग-अलग कालखंड़ों में राज किया. राजाओं के महल और उनके समय बनाए गए मंदिर स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना हैं. इनमें ग्वालियर, मांडू, महेश्वर, मदनमहल, चंदेरी के किले मशहूर हैं। ऐसे एक दो नहीं बल्कि 17 किले और महल हैं जो राज्य की शान में चार चांद लगाते हैं.

2.प्राकृतिक सौंदर्य करती है आकर्षित

प्रदेश पर प्रकृति इतनी मेहरबान है कि यहां पर 6 ऋतुएं समय-समय पर अपना प्रभाव दिखलाती है. मध्य प्रदेश की नैसर्गिक खूबसूरती बरबस ही सबका मन मोह लेती है. देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र मध्य प्रदेश में है. छोटी-बड़ी 32 नदियां यहां बहती हैं. प्रदेश में गंगा से भी पुरानी मानी जाने वाली नर्मदा नदी जीवनदायिनी है. ये अमरकंटक की मैकल पर्वत श्रंखला से निकलकर गुजरात और महाराष्ट्र को सिंचती हुई अरब सागर में जाकर समा जाती है. प्रदेश में स्थित 9 नेशनल पार्क का प्राकृतिक सौंदर्य अनुपम है. यहां का वन्य जीवन देश विदेश के पर्यटकों को लुभाता है.

3.मिली-जुली संस्कृति

प्रदेश की सीमाओं से जुड़े हुए अन्य प्रदेशों की संस्कृति की झलक यहां के पांच क्षेत्रों में मिलती है. प्रदेश की सीमाएं गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ को छूती हैं. जिसके कारण अन्य प्रदेशों की जीवन शैली का यहां बेजोड़ मिश्रण है. मालवा, निमाड़, बघेलखंड, बुंदेलखंड और चंबल में बोलियां, त्योहार, रीति-रिवाज में भिन्नता होते हुए भी प्रेम, सौहार्द्र प्रदेश के शांत वातावरण की पहचान है.

4.शिल्प कला बनाती है प्रदेश को शिल्पप्रदेश

प्रदेश में शिल्पकला का बेजोड़ उदाहरण देखने को मिलता है. जिन्हें देखने देश-विदेश से पर्यटक पहुंचते हैं. खजुराहो, सांची, भीमबेटका, आदमगढ़, जावरा, रायसेन, पचमढ़ी के शिल्प और स्थापत्य कला, मूर्तिकला प्रदेश की शोभा की पुरातन संस्कृति को दर्शाती है.

5.कण-कण में बसता है आध्यात्म

पौराणिक ग्रंथों और किंवदंतियों में प्रदेश के आध्यात्मिकता का वर्णन मिलता है. भगवान राम का 11 वर्ष से अधिक का वनवास प्रदेश को ही प्राप्त हुआ. तो वहीं प्रदेश में स्थित दो ज्योतिर्लिंग महाकालेश्ववर और ओंमकारेश्वर हैं. वहीं अमरकंटक, भोजपुर में भी शिव शोभायमान हैं..

6.स्वर्गों से लगते हैं ये पर्यटन स्थल

वैसे तो प्रदेश में पर्यटन स्थलों की संख्या बहुत है, जिसे देखने के लिए विदेशी सैलानियों भी पहुंचते हैं. प्रदेश में स्थित भेड़ाघाट, खजुराहो, ओरछा, पचमढ़ी, सांची का स्तूप, महाकालेश्वर, मांडू, चित्रकूट खास पर्यटन स्थल हैं.

7.इन वीरों ने आजादी में दिया योगदान

देश की आजादी में प्रदेश के वीरों का योगदान अमिट गौरव गाथा कहती है. रानी लक्ष्मी बाई, तात्याटोपे, चंद्रशेखर आजाद जैसे वीरों की शौर्य गाथाएं यहां आज भी गाई जाती हैं.

8.प्रदेश के सिरमौर

प्रदेश की माटी में जन्म लेकर जिन्होंने प्रदेश ही नहीं देश के सम्मान को चार चांद लगाए, इनमें महाकवि कालिदास, भर्तृहरी, बिहारी जैसे महान कवि, तानसेन, बैजू बावरा जैसी संगीत क्षेत्र की जानी-मानी हस्तियां, विक्रमादित्य, राजा भोज, रानी दुर्गावती और अहिल्या बाई जैसी राजनीतिज्ञ, संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर, पूर्व मुख्यमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, स्वर कोकिला लता मंगेशकर, नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी जैसी महान विभूतियां मध्यप्रदेश का गौरव रही हैं.

9.ये उपनाम बढ़ाते हैं शोभा

प्रदेश के शहरों और पर्यटन स्थल के उपनाम उनकी पहचान और उनकी गौरव संस्कृति की गाथा कहते हैं. जैसे प्रदेश की राजधानी भोपाल को झीलों की नगरी, जबलपुर को संस्कारधानी, इंदौर को मिनी मुंबई, मांडू को सिटी ऑफ जॉय, ग्वालियर को पूर्व का जिब्राल्टर, पचमढ़ी को पर्यटकों का स्वर्ग, उज्जैन को महाकाल की नगरी के नाम से जाना जाता है.

Last Updated : Nov 1, 2021, 7:57 AM IST

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