भोपाल। मध्य प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा उपचुनाव कई राजनेताओं के भविष्य का फैसला करेंगे. जिस तरह का राजनीतिक घटनाक्रम मध्यप्रदेश में पिछले महीनों में घटा है और जिस तरह की राजनीतिक परिस्थितियां बनी हैं, वो दोनों पार्टियों के लिए किसी चुनौती के कम नहीं हैं. बीजेपी में जहां शिवराज और सिंधिया को उपचुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीत कर बगावत से बनी सरकार को सुरक्षित करना है, तो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को अपने प्रबंधन का कौशल दिखाना है.
जहां तक सत्ताधारी दल बीजेपी की बात करें तो, कांग्रेस से सिंधिया और उनके समर्थकों की बगावत से बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई है. कांग्रेस विधायकों की बगावत के चलते उपचुनाव के हालात बने हैं, बीजेपी की सरकार बनने पर संगठन ने फिर शिवराज के चेहरे पर भरोसा जताया और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया. अब उपचुनाव में सीएम शिवराज के सामने जहां अपनी सरकार बचाए रखने की चुनौती है, तो हीं सिंधिया के सामने अपने समर्थकों को चुनाव जिताने की.
वही बात अगर कांग्रेस की जाए तो, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के सामने भी बड़ी चुनौती हैं. दोनों नेताओं को उपचुनाव में अपने राजनीति अनुभव और दमखम का परिचय देना होगा. कांग्रेस लगातार दावा कर रही है कि, उपचुनाव में वो ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने जा रही है. हालांकि इसको चुनावी दावा माना जा सकता है. कमलनाथ के साथ दिग्विजय सिंह को अपना राजनीतिक कौशल दिखाना होगा. क्योंकि अधिकतर सीटों पर चुनाव ग्वालियर-चंबल में होना है, जहां सिंधिया का दबदबा माना जाता है.
जनता के स्वीकार्य नेता हैं शिवराज और सिंधिया