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कॉलेज खुले लेकिन पढ़ाने के तरीके को लेकर असमंजस बरकरार, कई कॉलेजों में स्टूडेंट पहुंचे, टीचर रहे नदारद

राजधानी भोपाल के कॉलेजों में जहां कोराना गाइड लाइन के पालन को लेकर कोई व्यवस्था नहीं दिखाई दी वहीं, इंदौर में भी कई कॉलेज में यहीं नजारा था, हालांकि कुछ प्रोफेशनल कोर्सेस संचालित करने वाले कॉलेजों में स्टूडेंट्स भी खासी संख्या में पहुंचे और कोरोना गाइड लाइन के पालन को लेकर भी बेहतर व्यवस्था दिखाई दी.

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कॉलेज खुले लेकिन पढ़ाने के तरीके को लेकर असमंजस बरकरार

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Published : Sep 15, 2021, 5:57 PM IST

भोपाल।बुधवार से मध्यप्रदेश में कॉलेज भी खुल चुके हैं, लेकिन पहले दिन ज्यादातर छात्र कॉलेज नहीं पहुंचे, कई कॉलेजों में कक्षाएं खाली पड़ी रहीं. कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए भी कहीं कोई नजर नहीं आया . इसके अलावा जो छात्र कॉलेज पहुंचे भी वे कॉलेज की व्यवस्थाओं को लेकर परेशान होते नजर आए. खास बात यह रही कि कई जगह कक्षाओं में स्टूडेंट्स तो पहुंचे लेकिन उन्हें पढ़ाने वाले टीचर ही मौजूद नहीं थे. ईटीवी भारत की टीम ने कॉलेज खुलने के पहले ही दिन कॉलेजों की ग्राउंड रिपोर्ट जानी.

कॉलेज खुले लेकिन पढ़ाने के तरीके को लेकर असमंजस बरकरार
भोपाल

कॉलेज खुले लेकिन पढ़ाई को लेकर असमंजस बरकरार
मध्य प्रदेश में बुधवार 15 सितंबर से कॉलेज तो खोल दिए गए, लेकिन कॉलेजों में ना तो sop का पालन होता दिखाई दिया और ना ही कोरोना गाइड लाइन को फॉलों कराने को लेकर कोई तैयारी. कॉलेजों में कक्षाएं ऑनलाइन रखी जाए या ऑफलाइन इस पर भी अभी स्थिति साफ नहीं हो पाई है. ईटीवी भारत ने राजधानी भोपाल के कई कॉलेजों का रियलिटी चेक किया तो देखा कि यहां कॉलेजों में छात्र ही नहीं पहुंचे. हमारी टीम सबसे पहले भोपाल के सबसे बड़े सरकारी कॉलेज एनडीएम पहुंची यहां कॉलेज में इक्का-दुक्का छात्र ही नजर आए, कक्षाएं खाली पड़ी हुईं थी जो स्टूडेंट्स कॉलेज पहुंचे भी थे वे टीचरों का इंतजार करते नजर आए. कॉलेज पहुंचे स्टूडेंट्स को यह भी पता नहीं था कि उन्हें कहां और कैसे बैठना इसका भी प्रबंधन की तरफ से कोई इंतजाम नहीं किया गया था.

कॉलेज खुले लेकिन पढ़ाने के तरीके को लेकर असमंजस बरकरार

नहीं दिखा कोरोना गाइड लाइन और SOP का पालन

कॉलेजों में रजिस्ट्रेशन कराने पहुंचे छात्र बिना सोशल डिस्टेंसिंग के घूमते हुए नजर आए, कई स्टूडेंट्स ने मास्क भी नहीं पहना हुआ था. उनको रोकने टोकने वाला भी वहां कोई नहीं था. कॉलेज की मुख्य बिल्डिंग पर गेट के बाहर कोई मास्क लगाने सैनेटाइजर का इस्तेमाल किए जाने को लेकर भी कोई इंस्ट्रक्शन नहीं था. कक्षाओं में लगी बेंचो पर एक कर्मचारी सफाई करता हुआ नजर आया लेकिन वह भी बिना सैनिटाइजर के, सिर्फ सादा कपड़े से सफाई कर रहा था..जब हमारी टीम हमीदिया कॉलेज पहुंची तो यहां कक्षाओं में पानी भरा हुआ नजर आया और बेंचो की सफाई भी नहीं हुई थी, जबकि छात्र भी बहुत कम संख्या में कॉलेज पहुंचे थे.

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 15 सितंबर से महाविद्यालय में प्रथम चरण के आदेश जारी किए गए हैं उच्च शिक्षा विभाग के आदेशों के आधार पर आज से महाविद्यालय में भौतिक तौर पर कक्षाओं का संचालन शुरू किया गया है हालांकि कक्षाओं का संचालन ऑनलाइन माध्यम से भी जारी है महाविद्यालय में कक्षा संचालन की शुरुआत के पहले दिन छात्रों की संख्या बेहद कम नजर आई शहर के सबसे बड़े शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में छात्रों की संख्या करीब 5% के लगभग रही वहीं अन्य महाविद्यालयों में भी छात्रों की संख्या इसी आधार पर रही

कॉलेज खुले लेकिन पढ़ाने के तरीके को लेकर असमंजस बरकरार
इंदौर


प्रोफेशनल कोर्स की कक्षाओं में बड़ी संख्या में पहुंचे छात्र
भोपाल के बजाए इंदौर में कॉलेज खोले जाने के सरकार के फैसले का खासा असर दिखा. पहले दिन छात्रों की संख्या भी अच्छी खासी नजर आई हालांकि ऐसा नजर कुछ ही कॉलेजों में था. खासकर जिन कॉलेजों में प्रोफेशनल कोर्सेस संचालित किए जा रहे हैं. ऐसे कॉलेज में छात्र भी मौजूद थे और टीचर भी. शहर के शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय में बड़ी संख्या में छात्र कक्षा में पढ़ाई करने पहुंचे शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ आशीष श्रीवास्तव के अनुसार महाविद्यालय में आज पहले दिन स्टूडेंट्स की अटेंडेंस करीब 30% से ज्यादा रही. कॉलेज में ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों ही तौर पर कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है. साथ ही कोरोना गाइड लाइन का भी पूरी सख्ती से पालन कराया जा रहा है.

ईटीवी भारत के रियलिटी टेस्ट में भोपाल में जहां कॉलेज खोले जाने के फैसले का कोई खास असर नहीं दिखाई दिया वहीं इंदौर में भी कई कॉलेजों में यही स्थिति रही, हालांकि प्रोफेशनल कोर्सेस संचालित करने वाले कॉलेजों में अच्छी खासी संख्या में स्टूडेंट्स की मौजूदगी रही. कॉलेज खोले जाने के पहले दिन कॉलेजों का जो नजारा दिखाई दिया उससे यही नजर आया है कि सरकार को कॉलेज खोले जाने का फैसला लेने से पहले कुछ होमवर्क कर लेना चाहिए था. अगर ऐसा किया गया होता तो फैसले का नतीजा ज्यादा अच्छा होता.

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