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नवरात्रि दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी की आराधना का दिन, इस मनोकामना के लिये जरूर करना चाहिये इनकी आराधना

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से कुवांरी कन्याओं को विशिष्ट लाभ मिलता है. छात्र-छात्राओं को विशेषकर भगवती ब्रह्मचारिणी की आराधना करनी चाहिए. देवी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है. देवी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है. Chaitra Navratra Second Day Maa Brahmacharini

chaitra navratra second day brahmacharini
चैत्र नवरात्र दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी

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Published : Apr 3, 2022, 5:38 AM IST

ईटीवी भारत डेस्क :चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-उपासना की जाती है. ये मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से द्वितीय शक्ति है. जिन्होंने शिव जी को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, कठोर तपस्या के कारण ही इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया है. ये ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी मानी जाती है. ब्रह्मचारिणी देवी को छात्रों, व्यवसायियों और सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, इस रूप की पूजा-अर्चना करने से ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है. देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरुप देवी पार्वती का वह रुप है, जब उन्होंने शिव जी को साधने के लिए कठोर तप किया था.

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से कुवांरी कन्याओं को विशिष्ट लाभ मिलता है. ऐसी कन्याएं जिनकी शादी तय हो चुकी है लेकिन विवाह अब तक हुआ नहीं है ऐसी कन्याओं की भी पूजा करने का विधान माना गया है. शास्त्रों और वेद पुराणों के मुताबिक मां दुर्गा (Maa Durga) ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए हजारों साल तक तप किया. इसीलिए उन्हें ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) कहा गया है. जो भी श्रद्धालु मां ब्रह्मचारिणी की सच्ची आस्था और श्रद्धा के साथ पूजा करता है मां उनकी हर एक मनोकामना पूर्ण करती हैं. यही नहीं सच्ची श्रद्धा और साफ मन से भक्त जो भी अर्पित करते हैं मां उसे स्वीकार करती हैं. भक्त उन्हें फल में केला अर्पित कर सकते हैं जिससे मां प्रसन्न होती हैं.

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मां ब्रह्मचारिणी की पूजन विधि, पूजा के लाभ :नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते है. ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा खासकर शिक्षा जगत से जुड़े लोग बौद्धिक क्षमता, विद्या-बुद्धि की प्राप्ति के लिए मां ब्रह्मचारिणी सरस्वती के स्वरुप की पूजा-अर्चना करते है. जिससे ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है. मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. एकाग्रता बनी रहती है. छात्र-छात्राओं को विशेषकर भगवती ब्रह्मचारिणी की आराधना करनी चाहिए. देवी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है.

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मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

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नौ दिनों में मां दुर्गा के किन-किन रूपों की होती है पूजा :पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करें. तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजा अर्चना विधि-विधान पूर्वक करें, चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं पांचवे दिन मां स्कंद की, छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना विधि-विधान से और साफ-सफाई से करें, ताकि मां नाराज ना हो. सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजा की जाती है. तो वहीं अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा होगी। महानवमी के दिन मां सिद्धदात्री की पूजा और कन्या पूजन कर मां को विदाई दी जाती है. Chaitra Navratra Second Day Maa Brahmacharini

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