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शिवराज सरकार के बजट अध्यादेश पर कमलनाथ का निशाना, 'प्रदेश का रुक जाएगा विकास' - कमलनाथ ने साधा शिवराज सरकार पर निशाना

शिवराज सरकार साल 2020-21 के लिए बजट अध्यादेश ला रही है. जिसे पूर्व सीएम कमलनाथ ने प्रदेश की प्रगति को गहरा आघात पहुंचाने वाला बताया है. उन्होंने कहा कि महामारी के असामान्य समय में सबसे प्रतिकूल प्रभाव खेती किसानी पर पड़ा है. लेकिन प्रदेश सरकार के बजट में सबसे बड़ा कुठाराघात खेती के साथ किया गया है.

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कमलनाथ, पूर्व सीएम

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Published : Jul 29, 2020, 1:16 PM IST

भोपाल।शिवराज सरकार साल 2020-21 के लिए बजट अध्यादेश ला रही है. जिसे पूर्व सीएम कमलनाथ ने प्रदेश की प्रगति को गहरा आघात पहुंचाने वाला बताया है. उन्होंने कहा कि महामारी के असामान्य समय में सबसे प्रतिकूल प्रभाव खेती किसानी पर पड़ा है. लेकिन प्रदेश सरकार के बजट में सबसे बड़ा कुठाराघात खेती के साथ किया गया है. बजट का अवलोकन करने पर प्रतीत होता है कि इसमें महिलाओं, आदिवासी, पिछड़ों, दलितों और किसानों के आलावा समाज के किसी भी वर्ग के साथ न्याय नहीं किया गया.

कृषि क्षेत्र पर कुठाराघात

कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी सरकार ने बजट में सबसे बड़ा कुठाराघात कृषि क्षेत्र पर ही किया है. एमपी कृषि प्रधान प्रदेश है. यहां की 70% आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है. इसलिए किसानों की क्रय शक्ति बढ़ने पर ही यहां की अर्थव्यवस्था चलती है. लेकिन शिवराज सरकार ने 2019-20 की तुलना में 2020-21 में एग्रीकल्चर में 53.64% बजट में कमी की है, जबकि हॉर्टिकल्चर में 40.72% की कमी की है. बजट प्रावधानों में कृषि क्षेत्र में इतनी बड़ी कटौती का सीधा सा अर्थ है कि समूचे प्रदेश की प्रगति के पहिए को रोक देना.

बीजेपी ने रोकी फसल ऋण माफी

बीजेपी सरकार में आते ही जय किसान फसल ऋण माफी योजना को रोककर ये संकेत दे दी है कि सरकार किसानों के हित में काम करने वाली नहीं है. इस तरह वो बजट से प्रदेश को नुकसान पहुंचाएगी. प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने न सिर्फ औद्योगिक निवेश का एक अच्छा वातावरण बनाया था, बल्कि निवेशकों को आकर्षित किया था. मंगलवार एमएसएमई के बजट में 34.72% की कटौती की गई है. जिससे प्रदेश के विकास पर दोहरी मार पड़ेगी.

प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि शहरी विकास में 56.90% की कमी की गई है और पीडब्ल्यूडी के सड़क निर्माण में 24% की कमी की गई है. इस महामारी की दशा में कम से कम ये उम्मीद तो सरकार से थी कि वह प्रदेश के नागरिकों के स्वास्थ्य का ख्याल रखेगी, लेकिन स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा में भी कटौती कर सरकार अपने उत्तरदायित्व से पीछा छुड़ाने की अमानवीय कोशिश की है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

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