ईटीवी भारत डेस्क : सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. प्रत्येक मास में एकादशी दो बार आती है. एक शुक्ल पक्ष की एकादशी कहलाती है और दूसरी कृष्ण पक्ष की. एक वर्ष में कुल 24 से 27 तक एकादशी हो सकती हैं जो अलग अलग नामों से जानी जाती हैं. चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि कामदा एकादशी (kamada ekadashi 12 april 2022) का व्रत करने से मनुष्य को पिशाच योनि में नहीं जाना पड़ता.
कामदा एकादशी का व्रत करने और भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने पर मनुष्य को प्रेत आदि की योनि से मुक्ति मिलती है. विधिवत पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भगवान विष्णु की कृपा मिलने से अनजाने में किये गए पापों, सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति और संपन्नता आती है. कामदा एकादशी का व्रत करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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एकादशी पूजन विधि : इस दिन (kamada ekadashi 2022) प्रातः काल में सूर्योदय से पहले स्नान कर नवीन या साफ धुले हुए वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें. इस दिन पीले, सफेद आदि शुभ वस्त्रों को धारण करना चाहिए. इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) और माता एकादशी का पूजन किया जाता है. भगवान श्री हरि विष्णु को पीले पुष्पों की माला आदि चढ़ाई जानी चाहिए. इस दिन पीपल के पेड़ की भी पूजा कर उसकी जड़ में जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं. ऐसा करने से आपकी मनोकामनाएं जल्द ही पूर्ण होंगी और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी. इस दिन भगवान विष्णु के द्वादश अक्षर मंत्र महामंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना चाहिए. विष्णु सहस्त्रनाम, श्री नारायण स्त्रोत (Shree Narayana stotra, Vishnu Sahastranama ) आदि का भी पाठ करना शुभ माना गया है. लक्ष्मी सूक्त, पुरुष सूक्त का पाठ करना भी विशेष फल देता है. इस शुभ दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए.