भोपाल। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कालाष्टमी का व्रत किया जाता है, लेकिन मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान कालभैरव का अवतरण हुआ था. इस साल कालभैरव की जयंती 27 नवंबर 2021 शनिवार के दिन है. इसलिए आज शाम को और आधी रात में इनकी विशेष पूजा की जाएगी.
आज 27 नवंबर 2021 शनिवार के दिन अष्टमी तिथि सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन यानी रविवार को सुबह तकरीबन 6 बजे तक रहेगी. भगवान काल भैरव की पूजा से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं, साथ ही हर तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है. काल भैरव की पूजा से हर तरह की बीमारियां और डर खत्म हो जाता है. इनकी पूजा प्रदोष काल यानी शाम लगभग 5.35 से रात 8 बजे तक और रात 12 से 3 के बीच करनी चाहिए.
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हिंदू धर्म में काल भैरव को भगवान शिव का ही स्वरूप माना जाता है. मान्यता है कि काल भैरव की उपासना करने से व्यक्ति के सभी संकट दूर हो जाते हैं. इस दिन शुभ मुहूर्त में सच्चे दिल से प्रभु की उपासना करने से व्यक्ति अपने सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकता है. पूजा करने से काल भैरव अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं.
भैरव देव कौन हैं ! (Who is Bhairav Dev)
भैरव का अर्थ होता है भय को हर के जगत की रक्षा करने वाला. ऐसी भी मान्यता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है. इनकी शक्ति का नाम है 'भैरवी गिरिजा है, जो अपने उपासकों की अभीष्ट दायिनी हैं. इनके दो रूप है पहला बटुक भैरव जो भक्तों को अभय देने वाले सौम्य रूप में प्रसिद्ध है तो वहीं काल भैरव आपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले भयंकर दंडनायक है. कालभैरव के साथ शिवलिंग की भी पूजा करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है, इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि भगवान शिव के साथ काल भैरव की पूजा करने से भगवान शिव और काल भैरव प्रसन्न होते हैं.
दंडपाणि काल भैरव (Kal Bhairav)
माना जाता है कि भगवान भैरव जी से काल भी भयभीत रहता है इसलिए इन्हें काल भैरव एवं हाथ में त्रिशूल, तलवार और डंडा होने के कारण इन्हें दंडपाणि भी कहा जाता है. इनकी पूजा-आराधना से घर में नकारात्मक शक्तियां, जादू-टोने तथा भूत-प्रेत आदि से किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता बल्कि इनकी उपासना से मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है.
जन्म जन्मांतर के पापों से मिलती है मुक्ति (Get Rid Of Sins)
नंदीश्वर भी कहते हैं कि जो शिव भक्त शंकर के भैरव रूप की आराधना नित्य प्रति करता है उसके जन्म-जन्मों में किए हुए पाप नष्ट हो जाते हैं. इनके स्मरण और दर्शन मात्र से ही प्राणी के सब दुःख दूर होकर वह निर्मल हो जाता है. मान्यता है कि इनके भक्तों का अनिष्ट करने वालों को तीनों लोकों में कोई शरण नहीं दे सकता.
इस दिन करें ये उपाय (Upay On Kalashtami)
भैरव जी का वाहन श्वान यानी कुत्ता है इसलिए विशेष रूप से इस दिन काले कुत्ते को मीठी चीजें खिलाने से भैरव के कृपा पात्र बनते हैं. कालिका पुराण के अनुसार कुत्ते को मीठी चीजें खिलाने से आपके आस-पास मौजूद नकारात्मक शक्तियों के साथ आर्थिक तंगी की समस्या से भी राहत मिलती है. भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन कालभैवाष्टक का पाठ करना चाहिए,ऐसा करने से आदि-व्याधि दूर होती है.