भोपाल। फिल्म "दा कश्मीर फाइल्स" पर मध्य प्रदेश के आईएएस अफसर नियाज खान के ट्वीट करने के बाद बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या आईएएस का ट्वीट करना या सार्वजनिक बयान देना या सोशल मीडिया में कमेंट करना सर्विस रूल्स का उलंल्घन है? इस मुद्दे पर एक्सपर्ट बोलते हैं कि कार्रवाई होनी चाहिए, तो फिर हुई क्यों नहीं और अबतक कितनों पर हुई. नियाज खान का ट्वीट कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी ऐसे ही मामले सामने आ चुके हैं. प्रदेश के पूर्व सीएस कृपा शंकर शर्मा आईएएस का सार्वजनिक मंच पर ट्वीट करना जहां गलत बताते हैं वहीं कांग्रेस इस फ्रीडम ऑफ स्पीच और फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन से जोड़ रही है. दूसरी तरफ सरकार सिर्फ कार्रवाई की धमकी दे रही है. ऐसे में सरकार का रवैया खुद ही निशाने पर है. सवाल यह है कि सरकार ऐसा सिर्फ बाइच्वाइस करती है या निशाने पर ऐसे अधिकारी होते हैं जो पार्टी और सरकार के एजेंडे के खिलाफ होते हैं.
क्या कहता है सिविल सर्विसेज कोड ऑफ कंडक्ट.
सिविल सेवा आचारण नियम 9 के तहत- सिविल सर्वेंट के व्यक्तिगत जीवन में अपने धर्म का आचरण किया जा सकता है, किन्तु सार्वजनिक रूप से धर्मनिरपेक्षता का आचरण ही किया जाना चाहिए. इसके अलावा कोई भी शासकीय सेवक शासन की पूर्व मंजूरी के बिना किसी समाचार पत्र या अन्य नियतकालिक का प्रकाशन तथा कोई अन्य मीडिया का पूर्णता या अंशिता ना मित्र रखेगा और ना ही उसका संचालन करेगा और ना ही उसके संपादन अथवा प्रबंध में भाग लेगा.
- कोई भी शासकीय सेवक शासन की पूर्व मंजूरी के बिना अपने कर्तव्यों का सदभावना पूर्वक निर्वहन करने की स्थिति को छोड़कर ना तो कोई अन्य मीडिया प्रसारण भाग लेगा और ना ही समाचार पत्र, पत्रिका में अपने स्वयं के नाम से या गुमनाम तौर पर न किसी किसी अन्य व्यक्ति के नाम से कोई लेख देगा या कोई पत्र लिखेगा. किसी दस्तावेज में समाचार पत्र को दी गई सूचना में या सार्वजनिक रूप से अभिव्यक्त किसी उदगार में कोई ऐसा तथ्य या राय प्रकट नहीं करेगा जिसका परिणाम केंद्रीय सरकार या राज्य शासन की किसी प्रचलित या तात्कालिक नीति या कार्य की आलोचना करता हो.
एमपी में पहले भी सामने आ चुके हैं IAS के विवादित ट्वीट
- प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने लेख लिखकर पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान पर सवाल उठाए, बीजेपी नेताओं की तरफ से बयानबाजी हुई दीपाली पर कार्रवाई करने की बात की गई लेकिन नोटिस तक नहीं मिला.
- आईएएस लोकेश जांगिड़ ने बार-बार तबादला करने पर सोशल मीडिया पर अपनी व्यथा जाहिर की, भ्रष्टाचार को लेकर खूब लिखा. लेकिन सामान्य प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई.
- आईएएस जगदीश चंद्र उनकी पोस्ट विवादित हुई जिसके बाद उन्हें पहले पोस्ट को डिलीट करना पड़ा फिर फेसबुक से अकाउंट रिमूव किया. जगदीश चंद्र ने फिल्म छपाक को लेकर ट्वीट किया और विवादों में रहे. लेकिन उन पर भी किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई.
- महिला आईएएस अफसर प्रीति मैथिल को फोन टैपिंग की आशंका होने पर उन्होंने सोशल मीडिया में जिक्र किया. उन्होंने लिखा था कि- "मेरा फोन जासूसी कर रहा है, उनके बयान को पेगासस जासूसी के मामले से जोड़ दिया गया. लेकिन विवाद बढ़ते देख उन्होंने अपना फेसबुक मैसेज डिलीट कर दिया. प्रीती से भी सामान्य प्रशासन की तरफ से कोई जवाब नहीं मांगा गया.
- आईएएस अफसर सीबी चक्रवर्ती ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को चुनाव जीतने पर बधाई दी थी, इन्हें कारवाई के नाम पर कलेक्टर पद से हटाया गया था.
सिविल कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन: पूर्व सीएस
मुख्य सचिव कृपा शंकर शर्मा ने नियाज खान तरह के ट्वीट पर नाराजगी जताई है उनका कहना है नौकरशाहों के सोशल मीडिया पर लगातार आ रहे गैर जिम्मेदाराना बयानों के लिए सरकार ही जिम्मेदार है, जिस तरह से नियाज सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं उनके खिलाफ सरकार को कड़ा एक्शन लेना चाहिए और यह सिविल कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन है. शर्मा ने कहा कि- "उनका ट्वीट सीधे तौर पर दो पक्षों को आपसी संघर्ष के लिए उकसाने वाला है, यदि आपको कश्मीर फाइल्स फिल्म आपत्ति वाली लगी थी तो आपको इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं करना था. आप व्यक्तिगत कुछ भी बोल सकते हैं, लेकिन आप एक प्रशासनिक अधिकारी हैं और इस तरह लिखना नियमों के खिलाफ है."
पूर्व सीएस शर्मा कहते हैं कि- "जब मैं मुख्य सचिव था तो प्रशासनिक अधिकारी या बड़े ओहदे पर बैठा हुआ अफसर इस तरह खुलकर बयान बाजी नहीं करता था उसे अपने ऊपर कार्रवाई का डर रहता था, लेकिन अब कई मामले सामने आए, सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसका नतीजा ये रहा कि आए दिन प्रशासनिक या फिर अन्य अफसर सोशल मीडिया पर बयान बाजी कर रहे हैं."
मंत्री विश्वास सारंग का नियाज खान के ट्वीट पर बयान
हालांकि, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा है कि, आईएएस नियाज खान अपनी सीमाएं लांघ रहे हैं. उन्होंने कहा कि- "वे जिस पद पर वह हैं उसकी अपनी आचार संहिता है, वह फिरकापरस्ती और अराजकता फैला कर लाइम लाइट में आना चाहते हैं. यह उनके सर्विस रूल के खिलाफ है". विश्वास ने कहा कि-" मैं कार्मिक विभाग को पत्र लिख रहा हूं कि, उनके (नियाज खान) खिलाफ के कार्रवाई की जाए".
हर एक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है : कांग्रेस
कांग्रेस नियाज खान के बचाव में खड़ी है कांग्रेस का कहना है कि हर एक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है और यदि सरकार को लगता है कि नियाज खान ने कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन किया है, तो उस पर कार्रवाई क्यों नहीं करती. कांग्रेस का कहना है कि यदि संवैधानिक पदों पर बैठने वाले व्यक्ति इस तरह बोलते हैं तो क्या उन पर कार्रवाई नहीं बनती.