भोपाल।देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है, इसी मौके पर हर घर तिरंगा अभियान को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के उस डाकघर में ध्वजारोहण किया, जहां पर 15 अगस्त 1947 को भोपाल रियासत में पहली बार झंडा फहराया गया था. देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था, लेकिन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को आजादी दो साल बाद मिली थी. Bhopal Jumerati Post Office, Har Ghar Tiranga Campaign, Indian independence day
सीएम ने कही ये बात: डाक बंगले पर ध्वजारोहण करने पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मुझे खुशी है कि, "आज मैं उस डाक बंगले में ध्वजारोहण कर रहा हूं, जहां पर भोपाल रियासत ने खुद को भारत में मिलने से इंकार कर दिया था और यही वह डाक बंगला था जिस पर पहली बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आजादी के रणबांकुरे ने झंडा फहराया था."
1947 में आजाद क्यों नहीं हुआ था भोपाल:15 अगस्त 1947 को भोपाल को आजादी नहीं मिली थी. यहां पर नवाब हमीदुल्लाह का शासन था. नवाबी शासन होने के चलते ज्यादातर इमारतें और महल भोपाल स्टेट की थी. जब देश आजाद हुआ तो भोपाल रियासत ने भारत में शामिल होने का ऐलान किया. लेकिन अगले 2 साल तक भारत का तिरंगा नहीं बल्कि खुद का झंडा लहराया. 1949 को भोपाल रियासत का भारत में औपचारिक विलय हुआ. भोपाल रियासत के आखरी नवाब हमीदुल्लाह खान थे. माउंटबेटन और भारतीय नेताओं के बीच करार के बाद भारत को विभाजन और आजादी साथ मिल रही थी. तमाम रियासतों को यह विकल्प मिला था कि भारत या पाकिस्तान में से एक देश चुनें. हमीदुल्लाह खान मुस्लिम लीग के सक्रिय सदस्य थे. मोहम्मद अली जिन्ना के साथ हमीदुल्लाह की दोस्ती थी. लेकिन जब 1947 में किसी एक देश को चुनने का मामला सामने आया तब उन्होंने काश्मीर, हैदराबाद, सिक्किम जैसी रियासतों की तरह दोनों विकल्पों को नकारते हुए एक अलग रियासत की दलील दी. लेकिन जब नवाब ने देखा कि उनके दोस्त और कुछ रियासतें भारत के साथ विलय हो रही हैं तो 1947 में उन्होंने भारत के साथ विलय की सहमति दे दी. हालांकि अगले कुछ सालों तक वे अपनी कोशिशें जारी रखते रहे और उनको लगा कि भोपाल स्वतंत्र रियासत बनेगी. Bhopal Nawab Hamidullah Khan