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Khandwa By-Election: खंडवा के रण में महारथी! ज्ञानेश्वर के 'ज्ञान' का चलेगा जादू या राजनारायण का होगा 'राज'

खंडवा के सियासी 'रण' में दोनों दलों के महारथी अब आमने-सामने हैं, बीजेपी के ज्ञानेश्वर पाटिल के सामने कांग्रेस के ठाकुर राजनारायण सिंह पुरणी ताल ठोक रहे हैं, खंडवा संसदीय क्षेत्र में कुल 8 विधानसभा सीटें पड़ती हैं, यहां कुल मतदाता 19,59,436 हैं, जिनमें से पुरुष वोटर्स 9,89,451 हैं और महिला वोटर्स 9,49,862 हैं, जबकि अन्य 90 मतदाता हैं.

Khandwa By-Election
खंडवा के रण में महारथी

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Published : Oct 7, 2021, 11:26 AM IST

भोपाल। लंबे महामंथन के बाद आखिरकार बीजेपी ने नवरात्रि के पहले दिन अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है, दो दशक बाद खंडवा संसदीय सीट पर बीजेपी ने ओबीसी उम्मीदवार पर दांव लगाया है, जबकि कांग्रेस ने भी यहां से ठाकुर राजनारायण सिंह पुरणी को उम्मीदवार बनाया है, पिछले लोकसभा चुनाव में यहां बीजेपी और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आमने-सामने थे, जिसमें कांग्रेस के अरुण यादव बीजेपी के नंद कुमार सिंह चौहान से हार गये थे, लेकिन नंद कुमार के असमय निधन के बाद ये सीट रिक्त है, जिस पर चुनाव निर्धारित है, इस उपचुनाव के लिए दोनों ही दलों ने महारथियों को मैदान में उतार दिया है. यहां पर बीजेपी के लिए अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने की चुनौती है, जबकि कांग्रेस शेर के जबड़े से निवाला खींचने की रणनीति पर काम कर रही है.

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खंडवा में बीजेपी ने चला ओबीसी कार्ड

बीजेपी ने बुरहानपुर के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ज्ञानेश्वर पाटिल को खंडवा से उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग के बड़े नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव से परहेज किया है. यहां की 52 फीसदी आबादी पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखती है. यही वजह है कि बीजेपी ने यहां पहली बार पिछड़ा कार्ड खेला है, जबकि नंदकुमार के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान को उम्मीदवार बनाने पर बीजेपी के साथ जनता की सहानुभूति भी रहती है, पर बीजेपी ने ऐसा नहीं किया है, अब आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का खंडवा दौरा है और आज ही ज्ञानेश्वर पाटिल को नामांकन करना है. नामांकन के वक्त मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मौजूद रहेंगे, नामांकन के बाद सूरजकुंड में जनसभा को संबोधित करेंगे.

एबीवीपी से शुरू की थी राजनीतिक पारी

ज्ञानेश्वर पाटील का जन्म 27 जनवरी 1969 को नत्थुजी पाटिल के यहां हुआ था, उनके यहां केले का व्यापार होता है, साल 1987 में पाटिल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए, उसके बाद भाजयुमो से जुड़कर एक मतदान दस जवान कार्यक्रम को प्रभावी रूप से चलाया. 1989 लोकसभा व 1990 विधानसभा चुनाव के दौरान भाजयुमो के एक मतदान दस जवान कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से क्रियान्वित कराया. भाजपा युवा मोर्चा के खंडवा जिला महामंत्री वर्ष 1995 से 1998 तक रहे, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य युवा मोर्चा वर्ष 1998 से 2001 तक रहे. मध्यप्रदेश भाजपा पंचायत राज प्रकोष्ठ, प्रदेश महामंत्री 2001 में बने, जबकि 200 से 2005 तक जिला पंचायत अध्यक्ष पूर्व निमाड़ (खंडवा-बुरहानपुर) रहे.

कांग्रेस के राजनारायण से पाटिल का मुकाबला

बुरहानपुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर आरक्षण के कारण उन्होंने अपनी पत्नी को चुनाव लड़वाया, वर्ष 2005 में बुरहानपुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद के महिला आरक्षित था, तब ज्ञानेश्वर पाटिल की पत्नी जयश्री ज्ञानेश्वर पाटिल बुरहानपुर जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव बीजेपी के टिकट पर जीता था. वर्ष 2012 से 2014 तक प्रदेश भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे. पाटिल मप्र राज्य पावरलूम बुनकर संघ अध्यक्ष भी रहे. बुरहानपुर पावरलूम की राष्ट्रीय स्तर की मंडी है, जहां चार दशक पूर्व बुनकरों के उद्धार हेतु बनाए गए पावरलूम फेडरेशन को कांग्रेस शासन में डूबती संस्था बना दिया गया था, सहकारी क्षेत्र में बुनकरों के साथ जुड़कर वर्ष 2017 में मध्यप्रदेश राज्य पावरलूम बुनकर सहकारी संघ मर्यादित बुरहानपुर के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे. अब खंडवा संसदीय सीट से कांग्रेस के ठाकुर राजनारायण सिंह पुरणी से सीधा मुकाबला है.

कौन हैं राज नारायण सिंह पुरणी

खंडवा की मांधाता विधानसभा सीट के तीन बार विधायक रहे चुके हैं, राजनारायण क्षेत्र के दिग्गज नेता हैं, जो 1998 से लेकर 2008 तक लगातार इस सीट से जीतते रहे हैं. क्षेत्र में अच्छी पकड़, राजपूत और गुर्जर समाज में खासा प्रभाव, दिग्विजय सिंह के करीबी भी माने जाते हैं, सज्जन वर्मा, रवि जोशी, विजयलक्ष्मी साधौ और झूमा सोलंकी ने इनका नाम आगे बढ़ाया था. एससी वोटर्स पर साधौ और सज्जन सिंह वर्मा की अच्छी पकड़ मानी जाती है, जबकि आदिवासी वोटर्स के बीच झूमा सोलंकी कांग्रेस की बड़ी नेता हैं, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने जीत का भरोसा जताया है.

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