भोपाल | विश्व पर्यावरण दिवस के एक दिन पहले ही देशभर में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं तो वहीं राजधानी में भी पर्यावरण दिवस पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे भारत सरकार की पहल पर अब मध्यप्रदेश सरकार ने भी पर्यावरण संरक्षण के लिये एक जरूरी कदम उटाया है. प्रदेश के सभी सरकारी कार्यलयों में किसी भी तरह के प्लास्टिक के समान का उपयोग नहीं किया जायेगा. इसे पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है.
विश्व पर्यावरण दिवसः मध्यप्रदेश के सरकारी दफ्तरों में प्रतिबंधित होगा प्लास्टिक - मप्र सरकार
विश्व पर्यावरण के अवसर पर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिये एक अहम कदम उठाया है. मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी ऑफिसों में प्लास्टिक से बनी चीजों का प्रतिबंधित कर दिया है. अब शासकीय कार्यलयों में काम काज में उपयोग की जाने वाली प्लास्टिक से बनी चीजों का उपयोग नहीं किया जायेगा.
![विश्व पर्यावरण दिवसः मध्यप्रदेश के सरकारी दफ्तरों में प्रतिबंधित होगा प्लास्टिक](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-3473997-462-3473997-1559686636455.jpg)
मध्यप्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव केके कातिया ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को फेस आउट करने का संकल्प लिया गया है. भारत सरकार के संकल्प के जैसे ही मध्यप्रदेश शासन के समस्त कार्यालयों को सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त घोषित किया जाता है. कार्यालयों में होने वाले सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान डिस्पोजेबल प्लास्टिक का सामान, कैरी बैग्स, फूड पैकेजिंग, प्लास्टिक फ्लावर पोट, बैनर झंडे, पेट बॉटल्स, कटलरी प्लेट्स, ग्लास, स्ट्रॉ और स्पू्ंस पाउच शैसे समेत थर्माकोल से निर्मित व सजावट और अन्य सामान को प्रतिबंधित कर दिया गया है.
यदि मध्यप्रदेश के सभी शासकीय कार्यालयों में पूर्ण रूप से प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लागू होने के बाद उसका अमल किया जाता है तो निश्चित रूप से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से काफी हद तक बचाया जा सकता है, क्योंकि शासकीय अस्पतालों में प्लास्टिक की सामग्री का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इस आदेश के बाद अब सरकारी अस्पतालों में प्लास्टिक का इस्तेमाल पूर्ण रूप से बंद होता है या बदस्तूर जारी रहता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. क्योंकि इससे पहले भी पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार के द्वारा कई पहल की गई हैं लेकिन सरकारी अधिकारी-कर्मचारी कभी भी इस तरह के आदेशों को मानने से बचते रहे हैं.