भोपाल/ जबलपुर/ ग्वालियर/ रायसेन। कोरोना की दूसरी लहर से मजदूरों में एक बार फिर लॉकडाउन का डर दिख रहा है. कई मजदूर तो इसी डर से अपने गांव पहले ही लौट गए हैं. बाकी मजदूर पेट के खातिर डटे हुए हैं. 2020 का खौफ अभी से उनके चेहरों पर दिखने लगा है.
सुबह से शाम हो जाती है, काम नहीं मिलता
भोपाल में पुराने शहर के जहांगीराबाद और नए शहर के 10 नबंर बस स्टॉप, रोज काम करके पेट भरने वाले मजदूरों का ठीया बने हुए हैं. इन दोनों ठीयों पर मजदूर अब पहले की संख्या में बहुत कम आ रहे हैं . काम के इंतजार में सुबह से दोपहर और फिर दोपहर से शाम हो जाती है. मजदूर फिर खाली हाथ घर लौट जाते हैं. मजदूरों का कहना है कि 400 रुपए रोज की मजदूरी का रेट है. लेकिन इस रेट में लोग काम नहीं देते. भूखों मरने की नौबत आ गई है. काम कम हो गया है.आमदनी भी कम हो गई है.बहुत सारे साथी गांव लौट गए हैं. गांव में भी काम नहीं मिल पा रहा है. हालत बहुत खराब हो गई है भैया.
'हमें भी घर लौटना पड़ेगा'
राजधानी के अंतरराज्यीय बस अड्डे में भी मजदूर अपने घर जाने के लिए पहुंच रहे हैं.बस स्टेंड में काम के इंतजार में बैठे एक मजदूर हनीस खान ने बताया कि मजदूरी नहीं मिल रही है. उसके कई साथी अपने घर लौट गए हैं. एक-दो दिन में हम भी घर वापस चले जाएंगे.
कई फैक्ट्रियां हो चुकी बंद, मजदूर पलायन को मजबूर
ग्वालियर में भी मजदूरों का यही हाल है. ग्वालियर चंबल अंचल में बानमोर और मालनपुर दो बड़ी औद्योगिक क्षेत्र हैं. यहां 500 से ज्यादा छोटी-बड़ी कंपनियां हैं. इनमें 10 से 12 हजार मजदूर और कर्मचारी काम करते हैं. कोरोना महामारी के कारण बाजार में प्रोडक्शन की मांग सिर्फ 50 फ़ीसदी रह गई है. कोराना महामारी के कारण अंचल में कई फैक्ट्रियां ऐसी हैं जो आज भी बंद पड़ी हैं. क्योंकि इन फैक्ट्रियों में माल की सप्लाई नहीं हो रही है. इसलिए फैक्ट्री संचालकों ने मजबूरन फैक्ट्रियां बंद कर दी हैं.
'हम मजबूर, तो कैसे खुश होंगे मजदूर'
एक फैक्ट्री मालिक ने कहा, कि सरकार ने बिजली और कर्ज माफ करने की बात कही थी .लेकिन अभी तक इन औद्योगिक इकाइयों को किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिल पाई है. कोराना काल में कई फैक्ट्रियों पर लाखों रुपए का बिजली बिल बकाया है. लेकिन अभी तक उनको माफ नहीं किया गया है. साथ ही सरकार की तरफ से उद्योग इकाइयों को राहत पैकेज देने की बात की गई थी. लेकिन यह वादा भी पूरा नहीं हो पाया .
2020 का खौफ फिर से
मार्च 2020 के बाद अब एक बार फिर देश मे कोरोना की दूसरी लहर आ गई है.हालात अब फिर से कुछ उसी तरह के नजर आ रहे हैं. जबलपुर में भी मजदूरों को फिर से डर सताने लगा है, कि कहीं फिर से टोटल लॉक डाउन लगा, तो उनका क्या होगा. जबलपुर और उसके आसपास करीब 400 से छोटे-बड़े उद्योग हैं.इनमें हजारों मजदूर काम करते है. हालात को देखते हुए मजदूरों में फिर से पिछले साल वाला खौफ नजर आने लगा है. यही कारण है कि अभी से ही कई मजदूरों ने फैकट्री आना बंद कर दिया है. करीब 10% मजदूरों ने अभी से काम पर छोड़ दिया है.