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खुलासा : वन विभाग की जमीन पर किया कब्जा, खेती करते-करते दो बार लाखों में बेचा - मध्य प्रदेश की ताजा खबरें

राजधानी भोपाल में वन विभाग की जमीन पर कब्जा और फिर उसे बेचने का मामला सामने आया है. मुगालिया कोट गांव के दो किसान भाइयों ने वन विभाग की भूमि पर खेती की और फिर उसे दो अलग-अलग लोगों को लाखों रुपये में बेच दिया. अब इस पूरे मामले का खुलासा हुआ है.

Farming on Forest Department Land
वन विभाग की जमीन पर कब्जा

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Published : Jun 26, 2021, 5:54 PM IST

भोपाल।खेती करते-करते वन विभाग की जमीन ही बेच दी. धोखाधड़ी का यह मामला राजधानी भोपाल में सामने आया है. मुगालिया कोट गांव में रहने वाले दो किसान भाइयों ने पहले तो वन विभाग की जमीन पर कब्जा किया और लंबे समय तक खेती की और बाद में उस जमीन को बेच भी दिया. इस पूरे मामले में राजस्व अधिकारियों की मिली भगत का मामला सामने आ रहा है.

राजधानी भोपाल में जमीनों के मामले में धोखाधड़ी के कई मामले पहले भी सामने आते रहे हैं. भोपाल के करीब मुगालिया कोट जो कि सूखी सेवनिया वन परिक्षेत्र में आने वाला गांव है, उस गांव में एक ऐसा ही मामला सामने आया है. वहां रहने वाले किसान सूरज सिंह और कमल सिंह ने एक वनभूमि जिस पर वह काफी समय से कब्जा करके खेती कर रहे थे, जबकि वह भूमि वन परिक्षेत्र में आती है और वह वन विभाग की भूमि है.

वन विभाग की जमीन पर कब्जा

वन विभाग की जमीन के बने मालिक

दोनों किसान भाई सूरज और कमल ने वन विभाग की जमीन पर खेती करते हुए साल 2012 में उसकी बही बनवाई और राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में भी खसरा क्रमांक 156/1/1/12 में राजस्व अधिकारियों व कर्मचारियों की मिली भगत से उक्त भूमि के भूस्वामी बन गए. इस दौरान जमीन को दो बार बेच भी दिया.

ऐसे खुला पूरा मामला

पूरे मामले का खुलासा उस वक्त हुआ, जब सूरज और कमल ने भोपाल निवासी फरहान खान को पांच एकड़ भूमि 11 लाख 50 हजार रुपये में बेचने के लिए अनुबंध कर लिया. फरहान को सभी दस्तावेज उपलब्ध करवाए और जब राजस्व के रिकॉर्ड को ऑनलाइन चेक किया गया तो भू स्वामी के तौर पर सूरज और कमल का नाम सामने आया.

इसी आधार पर अनुबंध करके कमल व सूरज ने फरहान से 8 लाख रुपये ले लिए. बाकी की बची हुई राशि 3 महीने बाद देने के बात तय हो गई. एक दिन जब फरहान मौके पर पहुंचे व जमीन की फेंसिंग कराने की कोशिश कर रहे थे, तभी भोपाल निवासी सोनम मिश्रा भी मौके पर पहुंच गईं और उन्होंने बताया कि यह भूमि 4 साल पहले सूरज सिंह और कमल सिंह ने उन्हें 10 लाख रुपये में बेची थी. इस तरह खुलासा हुआ कि एक ही जमीन को दो बार बेची गई.

वन विभाग को विवाद की हुई जानकारी

इस बीच फॉरेस्ट चौकी सूखी सेवनिया को सूचना मिली कि उस जमीन पर कोई विवाद की स्थिती बन रही है. तब वहां फॉरेस्ट अधिकारी अपने दल के साथ पहुंचे और उनके द्वारा भी किसी भी प्रकार का निर्माण या फेंसिंग करने से मना किया गया. वन विभाग ने दोनों खरीदारों को बताया कि यह भूमि सूरत सिंह और कमल सिंह की ना होकर वन विभाग की है.

ईटीवी भारत को इस पूरी धोखाधड़ी की जानकारी हुई तो रिपोर्टर आरोपी सूरज और कमल का पता लगाने गांव पहुंची. वहां पता चला कि दोनों अभी गांव में नहीं हैं. इसके बाद सूखी सेवनिया वन चौकी के डिप्टी रेंजर भगवान सिंह ने बातचीत में बताया कि इस पूरे क्षेत्र में लगभग 25 हेक्टेयर जमीन ऐसी है, जिस पर किसान कब्जा करके खेती कर रहे हैं. उन्हें जमीन के बेचने-खरीदने की कोई जानकारी नहीं थी.

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अधिकारियों को दी गई मामले की जानकारी

डिप्टी रेंजर भगवान सिंह ने बताया कि फॉरेस्ट के अपने कंपार्टमेंट होते हैं और वन विभाग जमीन को खसरे से नही कंपार्टमेंट से पहचानता है. उक्त भूमि कंपार्टमेंट नंबर 196 में आती है, जिसका बाकायदा गजट नोटिफिकेशन भी विभाग के पास है. उन्होंने बताया कि इस तरह के विवाद यहां होते रहते हैं. लोग बिना जानकारी के फॉरेस्ट की जमीन खरीद लेते हैं. इस पूरे मामले की जानकारी उन्होंने अपने विभाग के उच्च अधिकारियों, नायब तहसीलदार और पटवारी को दे दी है. उन्होंने कहा कि लोग पहले जानकारी नही जुटाते इसलिए ऐसे मामले हो जाते हैं.

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इस मामले में नायब तहसीलदार गायत्री शर्मा ने बताया कि उन्हें भी अभी कुछ समय पहले ही इस मामले की जानकारी मिली है. उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से बात करके इस भूमि से संबंधित दस्तावेज व गजट नोटिफिकेशन की कॉपी मांगी है, क्योंकि जो भी भूमि वन विभाग की होती है वह भूमि गजट नोटिफिकेशन के द्वारा ही विभाग को प्राप्त होती है. गजट नोटिफिकेशन की कॉपी आने के बाद सबसे पहले इस भूमि को दोबारा वन विभाग के नाम पर दर्ज करने की कार्यवाही होगी.

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