भोपाल।मध्यप्रदेश में इन दिनों किसानों को लेकर राजनीति चरम पर है, एक तरफ किसान कांग्रेस ने प्रदेश में चल रहे सदस्यता अभियान में 1 लाख किसानों को पार्टी के साथ जोड़ने का दावा किया है और उन्हें तुलाई केंद्रों में तैनात कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी भी किसानों को लुभाने का कोई कसर नहीं छोड़ रही है. (MP Farmers forced to sell wheat in mandi)
मध्यप्रदेश मंडियों में गेहूं बेचने को मजबूर किसान किसान कांग्रेस के कार्यकर्ता तुलाई केंद्रों में तैनात: मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के प्रवक्ता फिरोज सिद्दीकी का कहना है कि कांग्रेस ने अपनी सदस्यता अभियान में 1 लाख किसानों को पार्टी से जोड़ा है. इन किसानों को गेहूं के तुलाई केंद्रों और मंडियों में तैनात किया है, किसान कांग्रेस के कार्यकर्ता तुलाई केंद्रों और मंडियों में होने वाली गड़बड़ियों और किसानों की कठिनाइयों को दूर करने का काम कर रहे हैं. सिद्दीकी ने कहा कि किसानों की समस्याओं को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ काफी संवेदनशील हैं, यदि कोई बड़ी समस्या आती है तो वह सीधे सीएम शिवराज सिंह से इस बारे में बात करेंगे.
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किसानों की ही रहेगी भाजपा सरकार:भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन चौधरी का कहना है कि कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है. किसानों को पूरी सहूलियत के साथ गेहूं खरीदी का काम किया जा रहा है, कहीं भी किसानों को कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है और समय पर किसानों की गेहूं की खरीदी की जा रही है. चौधरी का कहना है कि हमारी सरकार किसानों की सरकार थी, है और रहेगी.
किसानों को लुभाने में लगी राजनीतिक पार्टियां:कांग्रेस ने गेंहू खरीद केंद्रों पर 1 लाख किसान तैनात किए हैं, जिनके जरिए पार्टी किसानों की समस्याएं जानने की कोशिश कर रही है वहीं बीजेपी भी किसानों की समस्या को लेकर संजीदा बनी हुई है. मध्यप्रदेश में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस द्वारा किसानों की कर्ज माफी का मुद्दा इतना असरकारक रहा कि प्रदेश से भाजपा की सरकार को हटना पड़ा था. बाद में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने किसानों की कर्ज माफी कर इसे भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी, हालांकि कांग्रेस की सरकार ज्यादा दिन नहीं चल सकी लेकिन किसानों की कर्ज माफी का मामला लगातार सुर्खियों में रहा है. ऐसे में अब विधानसभा चुनाव को केवल डेढ़ साल बचे हैं तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां किसानों को अपनी तरफ करने में कोई मौका नहीं छोड़ना चाहतीं.
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किसानों का ये कहना: मामले में राजधानी की करोद मंडी में गेहूं को बेचने पहुंचे किसानों का कहना है कि गेहूं की कम कीमत मिलने से वह परेशान हैं. झापडिया गांव निवासी किसान मोहन मीणा ने बताया कि तुलाई केंद्र में पंजीयन नहीं हो पा रहा है और यदि वह भी रहा है तो 1 महीने बाद का स्लॉट बुक हो रहा है इसलिए मजबूरी में मंडी में गेहूं बेचना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि मंडी में लोकमन गेहूं 1950 रुपये में बेचा जबकि समर्थन मूल्य 2015 रुपये है. एक अन्य किसान संतोष अहिरवार का कहना है कि सही रेट नहीं मिल पा रहा है और तुलाई केंद्र में नंबर ही नहीं आ रहा. इसके अलावा निपानिया के किसान आनंदीलाल का कहना है कि उनका गेहूं भी 1970 रुपये में बिका, जबकि डीजल लगातार महंगा हो रहा है, ट्रैक्टर में डीजल भरा कर आ रहे हैं और उसके बाद भी गेहूं का सही दाम नहीं मिल रहा. इतना ही नहीं किसान मंडियों में धक्के खाने को मजबूर हैं, और दो-दो, तीन- तीन दिन से यहां पड़े हुए हैं.
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किसानों को हो रहा नुकसान: किसानों की समस्याएं और समाधान को लेकर भले ही राजनीतिक पार्टियां कितने ही दावे कर लें, लेकिन हकीकत यह है कि मध्यप्रदेश में फिलहाल किसान परेशान हैं. एक ततरफ जहां तुलाई केंद्रों में गेहूं की बिक्री के लिए स्लॉट बुक नहीं हो पा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ किसानों को इसके लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. ऐसे में अब किसान तुलाई केंद्रों की बजाए मंडियों में व्यापारियों को अपना गेहूं बेचने के लिए मजबूर है, जिसके चलते किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.