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एमपी की डिग्रियों की हैदराबाद में लगती थी बोली, 1.5 से 3 लाख में होता था सौदा, रैकेट में शामिल एक प्रोफेसर भोपाल से गिरफ्तार - फर्जी डिग्री रैकेट हैदराबाद पुलिस ने भोपाल में की कार्रवाई

फर्जी डिग्री बेचे जाने के मामले में हैदराबाद (fake degrees racket) पुलिस ने भोपाल की आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी के एक असिस्टेंट प्रोफेसर को गिरफ्तार किया है. आरोप है (hyderabad police arrested assistant professor) कि केतन सिंह नाम के इस प्रोफेसर ने 29 फर्जी डिग्रियां बेची हैं.

एमपी की डिग्रियों की हैदराबाद में लगती थी बोली
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Published : Feb 16, 2022, 7:46 PM IST

भोपाल। फर्जी डिग्री बेचे जाने के मामले में हैदराबाद (fake degrees racket) पुलिस ने भोपाल की आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी के एक असिस्टेंट प्रोफेसर को गिरफ्तार किया है. आरोप है (hyderabad police arrested assistant professor) कि केतन सिंह नाम के इस प्रोफेसर ने 29 फर्जी डिग्रियां बेची हैं. इस रैकेट में शामिल एक और एजेंट ने प्रकाश सैनी को सागर के स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी के 44 प्रमाण पत्र भी सौंपे हैं. पुलिस पूछताछ में पता चला है कि गिरफ्तार आरोपी केतन सिंह इस रैकेट का महज एक एजेंट हैं. मामले में विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों की मिलीभगत की आशंका भी जताई जा रही है.

हैदराबाद पुलिस ने भोपाल से की गिरफ्तारी
भोपाल पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर ने बताया कि तीन दिन पहले हैदराबाद पुलिस की टीम भोपाल आई थी.यहां फर्जी डिग्री मामले में कार्रवाई की गई. पुलिस के मुताबिक हैदराबाद के मेहदीपट्नम में प्राइड एजुकेशन एकेडमी के नाम से एक कंसल्टेंसी फर्म चलाई जा रही थी. यहां से हैदराबाद के ही रहने वाले आरोपी गुंटी महेश्वर राव और अंचा श्रीकांत रेड्डी, आरकेडीएफ के असिस्टेंट प्रोफेसर केतन सिंह से मिलीभगत कर भोपाल की सर्वपल्ली राधाकृष्णन यूनिवर्सिटी (आरकेडीएफ) और सागर की स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियां बेचते थे. इन डिग्रियों में बीकाॅम, बीएम, बीएससी, एमबीए और बीटेक तक की डिग्रियों का सौदा किया गया था. ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और टेक्निकल डिग्रियों के रेट तय थे. इन डिग्रियों को 1.5 से लेकर 3 लाख तक में बेचा जाता था. हैदराबाद पुलिस ने इस रैकेट का खुलासा करते हुए तीन आरोपियों को तेलंगाना से ही गिरफ्तार किया था. इनसे पूछताछ के बाद भोपाल से एक असिस्टेंट प्रोफेसर को भी गिरफ्तार किया गया है।

राजस्थान में भी उजागर हुआ फर्जीवाड़ा
मध्यप्रदेश में संचालित प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट दूसरे राज्यों में बेचे जाने का ऐसा ही फर्जीवाड़ा पिछले साल राजस्थान में भी उजागर हुआ था.

-राजस्थान में पिछले साल 1058 पदों के लिए सहायक रेडियोग्राफर भर्ती परीक्षा हुई थी.
-इसके नतीजे 21 मई 2021 को जारी किए गए. परीक्षा में 750 अभ्यर्थियों का चुनाव किया गया.
- दस्तावेजों के परीक्षण के दौरान मध्यप्रदेश के 413 अभ्यर्थियों के डिप्लोमा में गड़बड़ी पाई गई.
- इसके बाद राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल ने इनके रजिस्ट्रेशन को अस्थायी रूप से रद्द कर दिया.
- जांच में यह सामने आया कि मध्यप्रदेश के इन 413 अभ्यर्थियों ने प्रदेश के चार निजी विश्वविद्यालय ने यह फर्जी डिप्लोमा बनवाए थे.

आयोग ने साधी चुप्पी, शो काॅज देकर छोड़ा
राजस्थान में सहायक रेडियोग्राफर भर्ती में फर्जी डिप्लोमा के मामले में घिरी प्रदेश की चार निजी यूनिवर्सिटी पर निजी विश्वविद्यालय आयोग और शासन ने रहमदिली दिखाई. 413 अभ्यर्थियों के डिप्लोमा में फर्जीवाड़ा पाए जाने के बावजूद इस मामले में स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय (सागर), सर्वपल्ली राधाकृष्णन यूनिवर्सिटी, सत्य सांई यूनिवर्सिटी और आईसेक्ट यूनिवर्सिटी (भोपाल) को चेतावनी पत्र जारी कर मामले की खानापूर्ती कर दी. जांच में सिर्फ कुछ स्टूडेंट्स को ही इस फर्जीवाड़े का जिम्मेदार माना गया है. मध्य प्रदेश की यूनिवर्सिटीज के फर्जी डिग्री दूसरे राज्यों में पैसे लेकर बेचे जाने के निजी यूनिवर्सिटीज के इस गोरखधंधे में कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई. मामले की गंभीरता की हद तो यह है कि निजी विश्वविद्यालय आयोग ने एक विधायक द्वारा फर्जी प्रमाण पत्र बनवाए जाने के एक मामले में सिर्फ इसलिए कार्रवाई नहीं की, क्योंकि शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत ही वापस ले ली थी.

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