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Face To Face Sanjeev Rajput: हर खिलाड़ी अलग होता है, तैयारी के लिए भी अलग रोडमैप हो, तभी जीतेंगे ओलंपिक में मेडल - ओलंपिक भारतीय शूटर्स परफॉरमेंस

Face To Face Sanjeev Rajput: ओलंपिक में अगर पदक लाना है तो हर खिलाड़ी के लिए अलग से रोडमैप तैयार करने की जरूरत है. यह कहना है ओलंपियन शूटर और अर्जुन अवॉर्डी संजीव राजपूत का(arjun awardee olympian shooter sanjeev). संजीव से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

Face To Face Sanjeev Rajput
ओलंपियन शूटर और अर्जुन अवॉर्डी संजीव राजपूत

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Published : Nov 27, 2021, 6:04 AM IST

भोपाल। हर प्लेयर की ओलंपिक में अपनी क्षमता होती हैं. ऐसे में हर खिलाड़ी के लिए अलग-अलग रोडमैप तैयार किया जाए तो हम ओलंपिक में ज्यादा मेडल ला सकते हैं. यह कहना है ओलंपियन शूटर और अर्जुन अवॉर्डी संजीव राजपूत का( Face To Face Sanjeev Rajput). संजीव के अनुसार अब देश में शूटिंग इतना पॉपुलर हो गया है कि क्रिकेट के बाद उसका ही नाम लिया जाता है. ओलंपिक में पदक जीतने के लिए खिलाड़ी की तैयारी के साथ साथ उसका साइकोलॉजी बेहद महत्वपूर्ण होती है. संजीव राजपूत से बात की संवाददाता आदर्श चौरसिया ने.

ओलंपिक में मेडल लाना है तो सुनिए अर्जुन अवार्डी संजीव राजपूत की ये सलाह

सवाल- इस बार ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन आपके हिसाब से कैसा रहा.

जवाब- उनका कहना है कि शूटिंग में इस बार खिलाड़ियों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है. पहले की अपेक्षा में अब लगातार 2nd लाइन के खिलाड़ी भी आगे आ रहे हैं , जो आने वाले समय के लिए अच्छा रिस्पांस है.


सवाल-शूटिंग को अमीरों का खेल समझा जाता है, लेकिन आपने इस भ्रांति को दूर किया है.

जवाब- संजीव का कहना है कि यह खेलों के लिए बेहद अच्छा समय है कि अब(arjun awardee olympian shooter sanjeev) कॉमन फैमिली से भी लोग आगे निकल रहे हैं. पहले ऐसा नहीं था. लेकिन जिस तरह से खेलों में सभी का सहयोग मिलना शुरू हुआ है. अब तो स्पॉन्सर भी लगातार खिलाड़ी को मिल रहे हैं. एक समय था जब खिलाड़ी को स्पॉन्सर ही नहीं मिलते थे . आज इनके मिलने के कारण यह आसान हो गया है.

सवाल- शुरु में आपके सामने कितनी मुश्किलें आईं

जवाब- शुरुआत में मेरे सामने भी कई मुश्किलें आई. मैंने इंडियन नेवी ज्वाइन किया. मेरे पास शूटिंग के लिए बंदूक नहीं थी. लेकिन नेवी में जाने के बाद ही इस खेल की ओर रुझान बढ़ा. आज के समय में शूटिंग इतना पॉपुलर हो गया है कि क्रिकेट के बाद अब उसका ही नाम आता है.

सवाल-ओलंपिक में शूटिंग में इस बार खिलाड़ियों के पदक ना लाने और खिलाड़ियों के परफॉर्मेंस पर आप क्या सोचते हैं.
जवाब- ओलंपिक में जाने वाले हर खिलाड़ी किस तरह से इस टूर्नामेंट को देखता है और उसकी क्या तैयारी है. इस पर ही निर्भर करता है कि वह पदक लेकर आएगा या नहीं. इसके साथ ही उसकी साइकोलॉजी भी बहुत जरूरी है, कि वह मानसिक रूप से कितना तैयार है. खेल विभाग और सरकार इसके लिए प्रयास करते हैं. लेकिन किसी एक प्लेयर को अगर कोई समस्या है तो जरूरी नहीं कि वह समस्या दूसरे को भी होगी.(indian shooters performance olympic ) ऐसे में हर प्लयेर को लेकर एक अलग से रोडमैप तैयार करने की जरूरत है. अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर ओलंपिक में और पदक आएंगे.

सवाल-आने वाले खिलाड़ियों को आप क्या गुरुमंत्र देना चाहेंगे.
जवाब- खिलाड़ी को कुछ नहीं सोचना चाहिए. बस उसे सिर्फ और सिर्फ मेहनत करना चाहिए. अगर आपकी मेहनत अच्छी है तो आप आगे बढ़ जाएंगे.

सवाल-लगातार देश और प्रदेश में खेलों को लेकर बन रहे माहौल को लेकर आप क्या कहेंगे.

जवाब- हिंदुस्तान और साथ में मध्यप्रदेश में जिस तरह से खेलों का माहौल बना है. यह अच्छा है. एमपी में तो जो शूटिंग की एकेडमी है. वह राष्ट्रीय नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर की है. इसमें अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं भी हो सकती हैं. शूटिंग के खेल में पहले पैसा लगता था. लेकिन अब इतनी अकादमी आ गई हैं कि माता-पिता को पैसों की चिंता भी नहीं करनी चाहिए. अगर बच्चा अच्छा खेलता है तो निश्चित तौर पर वह आगे बढ़ जाएगा.

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