भोपाल। मध्य प्रदेश में हुए हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाले में जैसे-जैसे EOW की जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे परत दर परत नए खुलासे होते जा रहे हैं. अब ईओडब्ल्यू की टीम साल 2017 और उससे पहले जारी हुए टेंडरों को खंगाल रही है. जांच को सरल बनाने के लिए EOW छह-छह महीनों के ब्लॉक में जारी हुए टेंडरों को खंगाल रही है. यानी कि पहले जनवरी से लेकर जून और फिर जुलाई से लेकर दिसंबर माह के टेंडरों पर फोकस किया जा रहा है.
ई-टेंडर घोटाला: EOW की जांच में परत दर परत हो रहे हैं नए खुलासे
ई-टेंडर घोटाले में EOW ने पहले 9 टेंडरों में हुई गड़बड़ियों से जांच शुरू की थी, लेकिन अब EOW की जांच का दायरा बढ़ गया है. 9 टेंडरों के बाद पड़ताल में करीब 42 टेंडरों में टेंपरिंग किए जाने की पुख्ता सबूत EOW के हाथ लगे हैं, इसके बाद अब EOW को आशंका है कि साल 2017 और इससे पहले जारी किए गए टेंडरों में भी कहीं न कहीं गड़बड़ियां जरूर हुई होंगी.
ई-टेंडर घोटाले में EOW ने पहले 9 टेंडरों में हुई गड़बड़ियों से जांच शुरू की थी, लेकिन अब EOW की जांच का दायरा बढ़ गया है. 9 टेंडरों के बाद पड़ताल में करीब 42 टेंडरों में टेंपरिंग किए जाने की पुख्ता सबूत EOW के हाथ लगे हैं, इसके बाद अब EOW को आशंका है कि साल 2017 और इससे पहले जारी किए गए टेंडरों में भी कहीं न कहीं गड़बड़ियां जरूर हुई होंगी. यही वजह है कि अब जांच एजेंसी साल 2017 के पहले जारी हुए टेंडरों को भी जांच में शामिल कर रही है और इन टेंडरों को 6-6 महीनों के ब्लॉक में खंगाला जा रहा है. यानी कि पहले जनवरी से लेकर जून तक और फिर जुलाई से लेकर दिसंबर तक के टेंडरों की बारीकी से पड़ताल की जा रही है.
मध्यप्रदेश में ई टेंडर की प्रक्रिया लगभग साल 2011 में शुरू की गई थी. तब से लेकर अब तक जितने भी विभागों के टेंडर जारी किए गए हैं. वह इसी प्रक्रिया के तहत जारी किए गए हैं. बताया जा रहा है कि साल 2011 के बाद से अब तक जारी हुए टेंडरों की संख्या करीब साढ़े तीन लाख है. अब EOW 6-6 माह की अवधि में जारी किए गए टेंडरों को एक-एक कर खंगालेगी. हालांकि इस प्रोसेस में काफी समय लगेगा, लेकिन आशंका है कि इनमें कई टेंडर ऐसे भी होंगे जिनमें टेंपरिंग कर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया होगा.