भोपाल। पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने के साथ ही थानों में जनता का फीडबैक लेने के लिए विजिटर रजिस्टर (e vivechna app) व्यवस्था भी शुरू की गई थी. इसके नतीजे भी आ गए हैं. जिसमें 1 महीने का विजिटर्स फीडबैक के बाद कटारा हिल्स थाने को पहला स्थान मिला है. मिसरोद और अवधपुरी दूसरे और तीसरे नंबर पर जबकि अशोका गार्डन थाना सबसे पीछे रहा. टॉप थ्री थाना प्रभारियों को पुलिस कमिश्नर इनाम देंगे जबकि पीछे रहने वाले थानों के प्रभारियों को विजिटर्स के प्रति अपना व्यवहार सुधारने के निर्देश दिए गए हैं. ई विवेचना ऐप (last 2 month no fir register) की भी समीक्षा की गई.
ऐसे तय की गई थानों की रैंकिंग
पुलिस थानेपहुंचने वाले विजिटर्स से तय किए गए 5 सवालों के आधार पर जानकारी ली जाती है. इस इंफॉर्मेंशन को रोजाना कमिश्नर ऑफिस भेजा जाता है. फिर 1 महीने का रिकॉर्ड देख थानों की रैंकिंग तय की जाती है. विजिटर्स जिस थाने की सेवाओं से अधिक संतुष्ट नजर आते हैं उसे ग्रेडिंग में पहला स्थान दिया जाता. इसी के मुताबिक आगे का क्रम तय किया जाता है. पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर के मुताबिक थानों की यह ग्रेडिंग अब 15 दिन में तय की जाएगी.
- कमिश्नर सिस्टम के तहत आने वाले 34 थानों में से सभी के लिए 5 अंक तय थे.
- विजिटर्स से इन 5 सवालों के जवाब केवल हां या ना में लिए गए.
- जिसके बाद थाने के कुल अंक में से थाने पहुंचने वाले विजिटर्स की संख्या से डिवाइड करने पर रैंकिग निकाली गई.
फोन कर विजिटर्स से पूछे जाते हैं 5 सवाल
1-आपकी समस्या को सुना गया या नहीं? 2.आपके साथ पुलिस का व्यवहार कैसा था?. 3 आपसे किसी प्रकार की रिश्वत तो नहीं मांगी गई?.4 आपको बैठने के लिए कुर्सी दी गई या नहीं, आपको पानी पूछा गया?.5.आपकी शिकायत पर थाने से कोई एफआईआर या पावती दी गई या नहीं?
ई विवेचना ऐप, 2 महीने में एक भी FIR दर्ज नहीं हुई
मध्यप्रदेश देश का तीसरा ऐसा राज्य है, जहां क्राइम इन्वेस्टिगेशन के लिए ई-विवेचना एप शुरू किया गया है. इसके तहत ऑन द स्पॉट क्राइम इन्वेस्टिगेशन किया जाएगा. माना जा रहा था कि इससे इन्वेस्टिगेशन में तेजी आएगी और इन्वेस्टिगेशन से संबंधित साक्ष्य से छेड़छाड़ की संभावना खत्म हो जाएगी. 26 नवंबर 2021 को ऐप को प्रदेश में कुछ चुनिंदा स्थानों पर लागू किया गया था. सागर जिले के 15 थाने भी इस व्यवस्था में शामिल थे, लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी कि 2 माह तक विवेचना ऐप के जरिए एक भी मामले की जांच नहीं की गई है.
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क्या है ई विवेचना एप
पुलिस इन्वेस्टिगेशन को पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो (SCRB) और मैप आईटी ने ई-इन्वेस्टिगेशन एप (E-investigation app digitizing MP Police) तैयार किया था, इसके तहत एक टेबलेट में ई-विवेचना एप, एमपी ई कॉप एप और सीसीटीएनएस अपलोड कर पुलिस थानों को मुहैया कराए गए थे, प्रदेश के 1800 पुलिस थानों में ट्रायल के तौर पर ये व्यवस्था लागू की गई थी, जिनमें सागर जिले के 15 थाने शामिल थे, पर यहां तो यह नई व्यवस्था सफेद हाथी ही साबित हुई है.
कैसे काम करता है ई-विवेचना एप
ई-विवेचना एप के जरिए घटनास्थल से ही इन्वेस्टिगेशन की शुरुआत की जाती है. एप के माध्यम से पुलिस को घटनास्थल की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के अलावा घटना से संबंधित जरूरी साक्ष्य संरक्षित करने में मदद मिलती है. एप के माध्यम से ये सारा रिकॉर्ड सीसीटीएनएस सिस्टम में स्टोर होता है. इस एप का उपयोग करने वाले पुलिसकर्मी को लिखने की भी जरूरत नहीं होगी और वह स्पीच टू टेक्स्ट के माध्यम से केस डायरी लिख सकेगा. क्राइम इन्वेस्टिगेशन से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाक्रम और साक्ष्य की जियो स्टांपिंग के जरिए सुरक्षा तय की जाती है. इसका फायदा ये होना था कि विवेचना में पारदर्शिता आएगी, घटनास्थल के साथ साक्ष्य और गवाहों के कथन से किसी तरह की छेड़छाड़ की संभावना पूरी तरह से खत्म हो जाएगी.
थानों को उपलब्ध कराए गए टैबलेट
ई-विवेचना एप सागर जिले के 15 थानों को दिया (15 police station did not investigate a single case online) गया था, जिसके तहत 6 शहरी और 9 ग्रामीण थानों में 3-3 टैबलेट उपलब्ध कराए गए थे. ई विवेचना एप का उपयोग करने के लिए 7 और 8 जनवरी को संबंधित थानों के स्टाफ को ऑनलाइन ट्रेनिंग भी दी गई थी. इसी व्यवस्था के तहत कुल 45 टेबलेट इन 15 थानों को मुहैया कराए गए थे. ये व्यवस्था ट्रायल के तौर पर लागू की गई थी.
दो माह में एप से कोई विवेचना नहीं
सागर जिले के 15 थानों में भले ही ये व्यवस्था लागू हो चुकी है, इसके माध्यम से अभी तक एक भी अपराध का इन्वेस्टिगेशन नहीं किया गया है. सागर एएसपी विक्रम सिंह का कहना है कि क्राइम इन्वेस्टिगेशन को सुगम और सटीक बनाने के लिए ये व्यवस्था लागू की गई है. जिले के 15 थानों में ई-विवेचना ऐप इंस्टॉल कर 3-3 टैबलेट उपलब्ध कराए गए हैं. पुलिसकर्मियों को ई-इन्वेस्टीगेशन और एप के उपयोग के लिए दो दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया था, अब ऑफलाइन प्रशिक्षण देकर व्यवस्था सुचारू रूप से लागू की जाएगी.