भोपाल।15 अक्टूबर को दशहरा है. इस दिन पूरे देश में बड़ी धूमधाम से रावण दहन किया जाता है. दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. ये जरूरी नहीं कि जिसमें तमाम बुराइयां हो उसमें कोई भी खूबी न हों. ईटीवी भारत की ये रिपोर्ट पढ़ें, और रावण की वह खूबियां जानें जिससे सभी को सीख लेने की जरूरत है.
1. जो चाहिए, उसके लिए जी-जान लगा दो
रावण जो भी करता था पूरी शिद्दत से करता था. उदाहरण के लिए शिव भक्ति. वह भगवान शिव के महान भक्तों में से एक माना जाता है. उसने शिव के तांडव पर शिव तांडव स्त्रोत लिखा था. उसे पढ़कर कोई भी यह जान सकता है कि वह महान कवि था. वह प्रतिदिन अभिषेक के साथ भगवान शिव की पूजा करता था. एक बार तो रावण ने पूरा कैलाश पर्वत ही उठा लिया था.
2. खुद पर भरोसा
रावण यह अच्छे से जानता था कि उसकी क्या शक्तियां और क्या खामियां हैं. श्रीराम के खिलाफ युद्ध में रावण ने अपने सर्व शक्तिशाली भाई कुंभकरण और बेटे मेघनाथ को खो दिया था. इसका बाद भी रावण ने होसला नहीं हारा, और अपनी शक्तियों पर यकीन कर युद्ध में उतरा.
3. रिश्तों को अहमियत
भगवान राम के भाई लक्ष्मण ने रावण की बहन शूर्पणखा की नाक काट दी थी. पंचवटी में लक्ष्मण से अपमानित शूर्पणखा ने अपने भाई रावण से अपनी व्यथा सुनाई. तब रावण ने अपनी बहन के अपमान का बदला लेने की ठानी. रावण हमेशा अपने परिजनों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध था. हालांकि बदला लेने का उसका तरीका जरूर गलत था.
4. राजनीति का ज्ञाता