भोपाल। राजधानी भोपाल में कुत्तों का (Dogs number increased in bhopal) आतंक जारी है. दिन हो या रात लोगों का सड़कों पर निकलना असुरक्षित हो गया है. कुछ दिन पहले ही आदमखोर कुत्तों ने मासूम बच्चों को शिकार बनाया था. लेकिन बावजूद इसके नगर निगम प्रशासन मूकदर्शक बना है. ये कार्यशैली अपने आप में कई सवाल खड़े करता है. भोपाल नगर निगम के पशुपालन विभाग ने कहा था कि एक दिन में 55 कुत्तों की नसबंदी की जानी चाहिए. उस हिसाब से एक साल में 20 हज़ार 75 नसबंदी, और 7 साल में 1 लाख 40 चालीस हजार के ऊपर कुत्तों की नसबंदी हो जानी चाहिए थी. निगम के 7 साल के आंकड़े भी एक लाख से ज्यादा नसबंदी बता रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि जब इतने कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है तो राजधानी में आखिर कुत्तों की संख्या लगातार क्यों बढ़ रही है. अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभियान की धरातल पर हकीकत क्या है.
गलियों में कुत्तों का आतंक
जब आवारा कुत्तों की नसबंदी को लेकर नगर निगम आयुक्त केवीएस चौधरी से पूछा तो उन्होंने बताया कि नसबंदी का अभियान तेजी से शुरू कर दिया गया है. वहीं नसबंदी करने वाली संस्था से भी पूरी जानकारी मांगी गई है की कितने सालों में कितनी नसबंदी की है. उन्होंने कहा कि नगर निगम आवारा कुत्तों को लेकर सर्वे भी करा रहा. यदि कोई गड़बड़ी पाई गई तो संस्था पर कार्रवाई की जाएगी. 7 साल पहले जब नसबंदी अभियान शुरू किया गया था तो कुत्तों की संख्या 25,000 थी. वैसे तो हर साल लाखों रुपए कुत्तों की नसबंदी पर खर्च हो रहे हैं लेकिन समस्या ज्यों कि त्यों है. बागसेवनिया के इलाके में 3 साल की बच्ची पर कुत्तों ने जो हमला किया वो निगम के अभियान की पोल खोलता है. एनिमल बर्थ डॉग रूल 2001 के तहत नवोदय संस्था के जरिए शहर में आवारा कुत्तों की नसबंदी कराई जा रही है. 2021 में 5 हजार से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी हुई है.