भोपाल। मध्यप्रदेश में भारी ऊठापटक के बाद बीजेपी ने सिंधिया के समर्थन से सरकार जरूर बना ली है, लेकिन बागियों को मंत्रिमंडल में शामिल करने और उपचुनाव में टिकट देने के एलान के बाद बीजेपी में असंतोष उभर रहा है. सत्ता से बेदखल हुई कांग्रेस उपचुनाव के जरिए अभी भी अपनी खोई हुई सरकार वापस पाने की आस बरकरार रखे हुए हैं. लिहाजा बीजेपी की हर परिस्थितियों पर कांग्रेस की पैनी नजर है.
कांग्रेस असंतोष में जहां अपनी जीत की संभावनाएं तलाश रही है. वहीं बीजेपी के दिग्गज नेताओं को तोड़ने की कोशिश कर रही है. हालांकि बीजेपी को अपने कार्यकर्ताओं की निष्ठा पर भरोसा है. लेकिन राजनीति में किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. बहरहाल कांग्रेस की गुटबाजी और असंतोष का फायदा उठाकर बीजेपी ने सरकार तो बना ली. लेकिन सरकार बनने के बाद बीजेपी में असंतोष के स्वर तेज हो गए हैं. दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन से बनी बीजेपी की शिवराज सरकार में असंतोष के दो प्रमुख कारण हैं. पहला तो शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार और दूसरा कारण उपचुनाव में टिकट वितरण है.
22 बागियों को दिया जाएगा टिकट
कांग्रेस से बागी हुए सिंधिया समर्थकों को मंत्रिमंडल में एडजस्ट करने के लिए बीजेपी को अपने कई बड़े और कद्दावर नेताओं को घर बिठाने की नौबत आ गई है. ऐसी स्थिति में इन नेताओं में आक्रोश पनप रहा है. लगातार आठ चुनाव जीतने वाले पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव पहले विस्तार में मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से नाराज हैं. तो कई लोग ऐसे हैं, जो पहली बार मंत्री बनने का सपना देख रहे थे. लेकिन उनका सपना टूटता नजर आ रहा है. इसके अलावा बीजेपी के वह नेता पार्टी से नाराज हैं, जिनके विधानसभा क्षेत्रों के सिंधिया समर्थक बागी होकर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. बीजेपी ने साफ तौर पर ऐलान कर दिया है कि उपचुनाव में कांग्रेस के तमाम 22 बागियों को टिकट दिया जाएगा.