भोपाल।कोरोना के चलते देश में लगाए गए लॉकडाउन के परिणाम अब सामने आ रहे हैं. लॉकडाउन से देश का युवा वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. पिछले चार महीनों में हजारों युवाओं की नौकरियां गई, तो कई युवाओं की की पढ़ाई छूट गई, तो किसी को इंटर्नशिप बीच में छोड़नी पड़ी. लिहाजा घर बैठे युवा तेजी से डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. स्टूडेंट्स को भविष्य की चिंता सता रही है, नॉकरी वालो को नयी नौकरी की तलाश है और जो नॉकरी छोड़ चुके है उन्हें आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है. ऐसे में युवा वर्ग अवसाद में जा रहा है. राजधानी भोपाल में भी युवा तनाव और अवसाद का शिकार हो रहे हैं. जिससे आत्महत्या जैसी गंभीर घटनाओं के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं.
फैमिली कोर्ट में बढ़ रहे डिप्रेशन से संबंधित मामले
फैमिली कोर्ट में भी ऐसे मामलों की कॉउंसलिंग का अंबार लगा हुआ है. इन दिनों फैमिली कोर्ट में डिप्रेशन से संबंधित मामलों की कॉउंसलिंग चल रही है और ये मामले एक या दो नहीं है. बल्कि दर्जनों मामले है. इन मामलों में ज़्यादातर लोग 18 से 40 वर्ष की उम्र के है और ये वो लोग है जिनके भविष्य पर कोरोना की मार पड़ी है. स्कूल पास होने के बाद जो छात्र पढ़ाई के लिए बाहर नहीं जा पा रहे वो भी मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं, जबकि जो छात्र बाहर से अछे खासे पैकेज पर जॉब छोड़ कर वे भी अपने भविष्य के लिए चिंतिंत है.
इंदौर में रहकर पढ़ाई के साथ-साथ जॉब करने वाली ईशा कहती है कि लॉकडाउन के बाद उनकी पढ़ाई और जॉब दोनों छूट गई. जिससे अब किसी काम में मन नहीं लगता. ईशा कहती है कि उन्हें ऐसा लगता है जैसे उनका यह पूरा साल खराब हो चुका है. क्योंकि पढ़ाई बीच में छूट गई है. जो कब शुरु होगी इसका कोई अंदाजा नहीं है. हर समय घर में बैठने से अब मन नहीं लगता.
कुछ ऐसी बात करती नजर आती है. अनुभा सोन्हिया जो पुणे की एक कंपनी में जॉब करती थी. उन्हें लगा की लॉकडाउन जल्द खत्म हो जाएगा. लेकिन लॉकडाउन बढ़ता ही गया जिससे अनुभा की जॉब छूट गई. अनुभा कहती है कि उनका कैरियर में एक बड़ा गेप आ गया है. जो कब तक भरेगा कुछ कहा नहीं जा सकता.