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बोर्ड परीक्षा में बचा है सिर्फ एक माह, काउंसलर शबनम खान से जानिए खास टिप्स - बोर्ड एग्जाम

स्कूल शिक्षा विभाग बोर्ड परीक्षाओं की घोषणा कभी भी कर सकता है. छात्र भी परीक्षा की तैयारियों में जुटे हैं. तो स्कूल शिक्षा विभाग काउंसलरों के जरिए छात्रों की परेशानियां दूर करने में लगा है. काउंसलर शबनम खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत कर छात्रों को तनाव से दूर रहने के आसान टिप्स दिए.

shabnam khan
शबनम खान, काउंसलर

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Published : Jan 10, 2020, 2:11 PM IST

भोपाल। 10वीं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को अब केवल एक माह का समय ही रह गया है. छात्र परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे हुए हैं. परीक्षा के तनाव से छात्रों को दूर रखने के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा लगातार छात्रों की काउंसलिंग कराई जा रही है. छात्रों की लगातार काउंसलिंग कर रही काउंसलर शबनम खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि छात्रों को परीक्षा की तैयारी कैसे करनी चाहिए.

शबनम खान, काउंसलर

काउंसलर शबनम खान ने बताया, बोर्ड एग्जाम ऐसा होता है, जिससे लगभग हर छात्र घबराता है. लेकिन यह बड़ी बात नहीं है. एग्जाम का पैटर्न इतना भी कठिन नहीं होता, कि आप उससे डरते रहे. अगर आप आत्मविश्वास के साथ अपना काम करेंगे और बिना डरे, बिना चिंता किए पढ़ाई करेंगे, तो बेहतर तरीके से परीक्षा क्लियर कर सकते हैं.

एग्जाम के दौरान अलर्ट रहे छात्र
शबनम खान ने छात्रों को बताया कि, छात्र बोर्ड एग्जाम के दौरान शुरू से ही अलर्ट रहें. एक साथ दिमाग पर बोझ न बनाएं. धीरे-धीरे सिलेबस के हिसाब से पढ़ाई करें. एक साथ सबकुछ करने में हड़बड़ी हो जाती है. इसलिए आराम से सब्जेक्ट को रुटीन के हिसाब से पढ़े. ऐसा करने से आखरी में आपके पास पर्याप्त समय होगा, जिसमें आप रिवीजन कर पाएंगे और एक्स्ट्रा तैयारी भी कर सकेंगे.

पढ़ाई में सोशल साइटस का भी करे इस्तेमाल
इसके साथ ही सोशल मीडिया से पढ़ाई को लेकर शबनम खान बताती है कि, आज कल सोशल साइट्स पर कई सारी ऐसी एप्लीकेशन हैं जिनसे छात्रों को अच्छा कंटेंट मिल जाता है. अगर बच्चा थोड़ा समय सोशल मीडिया को देता है, तो इसमें कोई बुरी बात नहीं है. बस उसका उपयोग सही होना चाहिए.

बच्चों पर ध्यान दे पेरेंटस
काउंसलर शबनम खान ने बताया कि, बच्चों के एग्जाम के दौरान पेरेंट्स की भूमिका सबसे अहम होती है. पेरेंट्स का सपोर्ट सबसे पहले होना चाहिए. बच्चा जब पढ़ाई करें, उसके साथ बैठे और उसके सवालों का जवाब दें. छोटी-छोटी चीजों में उसे ना टोके और कम्युनिकेशन बनाए रखें. जिससे छात्र डिप्रेशन में नहीं जाता, वो अपने अंदर की बात पेरेंटस को बता पाता है.

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