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MP में बढ़ी कोरोना की टेस्टिंग, लेकिन घर से होने वाली सैंपलिंग बंद होने से बढ़ी परेशानी

मध्य प्रदेश में कोरोना की टेस्टिंग क्षमता भी अब तेजी से बढ़ रही है. शायद यही वजह है कि कोरोना के मामले भी लगातार बढ़े हैं. राजधानी भोपाल में अब हर दिन तीन हजार से ज्यादा लोगों की कोरोना जांच की जा रही है. लेकिन घर से होने वाली सैंपलिंग बंद होने से परेशानियां भी बढ़ी हैं.

टेस्टिंग ही कारगर
टेस्टिंग ही कारगर

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Published : Sep 26, 2020, 8:15 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है. हालांकि बढ़ते मामलों की एक वजह, टेस्टिंग क्षमता का बढ़ना भी बताया जा रहा है. क्योंकि कोरोना को रोकने में ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग सबसे ज्यादा कारगर बताया गयी. यही वजह है कि राजधानी भोपाल सहित पूरे मध्य प्रदेश में टेस्टिंग क्षमता बढ़ाई गयी है.

MP में बढ़ी कोरोना की टेस्टिंग

विशेषज्ञ भी लगातार इसी बात पर जोर दे रहे हैं कि जब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक ज्यादा से ज्यादा आबादी का टेस्ट करना ही कोरोना को रोकने का सबसे कारगर तरीका है. लेकिन बढ़ती टेस्टिंग से कुछ फायदा हुआ है, तो कुछ परेशानियां भी आ रही है.

हर दिन बढ़ रहे कोरोना मरीज

बात अगर राजधानी भोपाल की जाए तो यहां हर दिन कोरोना मरीजों के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं. हर दिन 300 के आस-पास मरीज मिल रहे हैं. वही अगर टेस्टिंग क्षमता की बात जाए तो भोपाल में पहले जहां छह से सात लैब में ही कोरोना का परीक्षण हो रहा था. वहीं अब शहर के 21 लैंब में कोरोना की टेस्टिंग हो रही है. जिसमें हर दिन 3300 से ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं.

भोपाल में हर दिन हो रही 3,000 से ज्यादा टेस्टिंग

भोपाल शहर में सैंपल टेस्टिंग की स्थिति पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रभाकर तिवारी का कहते है कि इस समय 3,000 से 3,500 टेस्टिंग हर दिन की जा रही है. RT-PCR के अलावा जिला अस्पताल में ट्रू नेट मशीन से भी टेस्टिंग कराई जा रही है. तो शहर में फीवर क्लीनिक में भी सैंपल कलेक्शन की व्यवस्था की गई है. उन्होंने कहा कि शासन के दिशा निर्देशों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. आगे भी टेस्टिंग बढ़ाए जाने पर जोर दिया जा रहा है. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों के कोरोना टेस्ट किया जा सके.

घर से होने वाली सैंपलिंग बंद होने से बढ़ी परेशानी

भोपाल शहर के 21 लैबों में हर दिन औसतन 1,800 से लेकर 1,900 तक टेस्टिंग की जा रही है. जो पहले 1,000 से 1,200 तक थी. शहर में लगातार बढ़ रहे मामलों के पीछे यह भी एक कारण बताया जा रहा है. फिर भी यहां पर एक कमी शहर में देखने को मिल रही है, जहां पहले राजधानी भोपाल में टीम घर-घर जाकर सर्वे और सैंपलिंग का काम कर रही थी. लेकिन इसे अब बंद कर दिया गया है. जिसके कारण कई कोरोना संदिग्ध टेस्टिंग से वंचित रह जाते हैं. ऐसे में कोरोना के संक्रमण बढ़ने का खतरा भी बढ़ा हुआ है.

बड़ा सवाल यह है कि घर-घर जाकर टेस्टिंग कराना कोरोना को रोकने में काफी हद तक कारगर साबित हो रहा था. ऐसे में जहां टेस्टिंग क्षमता बढ़ने से अगर लोगों को फायदा हो रहा है, तो घर से होने वाली टेस्टिंग बंद होने से परेशानियां भी बढ़ी हैं.

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