भोपाल। मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर पंचायत चुनाव प्रक्रिया स्थगित किए जाने के मामले ने कांग्रेस की उलझन बढ़ा दी है. कोर्ट के फैसले से आम लोगों में यह धारणा बन गई है कि ये प्रकिया कांग्रेस की वजह से स्थगित हुई है. इतना ही नहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाओं की पैरवी करने वाले अधिवक्ता विवेक तन्खा की ओर से, भाजपा नेताओं को 10 करोड़ की मानहानि का नोटिस तक जारी करना पड़ा है.
पिछले दिनों कांग्रेस ने पंचायतों की आरक्षण में रोटेशन प्रक्रिया का पालन करने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने पंचायत चुनाव को लेकर दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए तय किए गए आरक्षण पर ही सवाल उठाए थे.
विवेक तन्खा ने CM और BJP नेताओं को 10 करोड़ का नोटिस भेजा
MP में OBC की आरक्षित सीटों पर पंचायत चुनाव पर रोक से कांग्रेस उलझन में
MP कांग्रेस पंचायत चुनाव से ठीक पहले अपनी स्थिति आम आदमी के बीच साफ करने की लड़ाई लड़ रही है. पंचायत चुनाव में आरक्षित सीटों पर चुनाव प्रक्रिया स्थगित होने के बाद संदेश गया है कि इसके पीछे कांग्रेस का हाथ है. कांग्रेस नहीं चाहती थी कि चुनाव हों. लिहाजा कांग्रेस के सामने कंफ्यूजन की स्थिति है और वो लोगों के बीच अपने स्टैंड को साफ करने का प्लान बना रही है.
सर्वोच्च न्यायालय की ओर से जारी किए गए निर्देश के आधार पर राज्य चुनाव आयोग ने OBC वर्ग के लिए आरक्षित पंचायत क्षेत्रों में चुनाव प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है. दूसरी ओर अन्य स्थानों पर चुनाव की प्रक्रिया जारी है. BJP ने OBC आरक्षित सीटों पर चुनाव प्रक्रिया स्थगित किए जाने के लिए सीधे तौर पर कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था. भाजपा के तमाम बड़े नेताओं ने आरोप लगाए कि यह सब कांग्रेस के न्यायालय में जाने के कारण हुआ है और इसको लेकर विवेक तन्खा पर हमले किए गए थे. इस मामले के तूल पकड़ने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह को मानहानि का 10 करोड़ का नोटिस भेजा है.
क्या थे BJP नेताओं के आरोप
नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया था कि OBC आरक्षण लागू करने की सरकार की मंशा साफ है. वर्ष 2003 के बाद ओबीसी को आरक्षण मिल रहा था लेकिन तन्खा के कारण आरक्षण रद्द हो गया है.
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद कांग्रेस को जनता के बीच सफाई देनी पड़ रही है, क्योंकि भाजपा सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के लिए कांग्रेस की याचिकाओं को जिम्मेदार ठहरा रही है. तन्खा ने कहा है कि कोर्ट कार्यवाही के सम्बंध में झूठ बोलना, असत्य के आधार पर झूठी मुहिम जघन्य अपराध है। मेरी चुनौती है कि वे मुझे झूठा सिद्ध करे, खुद को सच्चा.
उन्होंने कहा, मैने अधिवक्ता शशांक शेखर के द्वारा 10 करोड़ का मानहानि,अन्य सिविल, क्रिमनल कार्यवाही का नोटिस शिवराज सिंह, विष्णुदत्त शर्मा, भूपेंद्र सिंह को भेजा है. यदि तीन दिवस में ये स्थिति स्पष्ट नहीं करते तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, उच्चतम न्यायालय के फैसले पर हम सब को आश्चर्य हुआ। हमने मांगा था आरक्षण में रोटेशन, विद्वान न्यायाधीश ने फैसला सुना दिया, OBC आरक्षण के खिलाफ.
कुल मिलाकर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देष और उसके बाद भाजपा के हमलावर रुख ने कांग्रेस की उलझन में डाल दिया है, और उसे यह बताना पड़ रहा है कि उसने तो सिर्फ आरक्षण केा रोटेशन किए जाने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी, न कि ओबीसी आरक्षण के मसले पर.
इनपुट - आईएएनएस
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