बैतूल।मप्र में बिजली की मांग नए रिकार्ड (high demand and low supply of electricity)की ओर बढ़ रही है. साथ ही कोयला संकट की आहट भी आ रही है. बैतूल के सतपुड़ा थर्मल पॉवर प्लांट सारनी के पास मात्र 61 हजार मीट्रिक टन कोयला है. जबकि सिंगाजी और बिरसिंहपुर प्लांट के पास महज एक-एक सप्ताह का कोल स्टॉक(coal crisis in mp) है, जबकि दूसरी तरफ प्रदेश में बिजली की मांग तेजी से बढ़ी है. शुक्रवार को पूरे प्रदेश में बिजली की मांग चरम थी. आपको बता दें कि मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के पास 5 लाख 8 हजार मीट्रिक टन कोयले की भंडारण क्षमता है, लेकिन बिजली उत्पादक कंपनियों के स्टॉक में कोयला कम बचा है.
डिमांड पूरी करने डिस्कॉम से लेनी पड़ रही है बिजली
शुक्रवार को प्रदेश में 14 हजार 697 मेगावाट बिजली की मांग दर्ज की गई, जो सीजन में सर्वाधिक है. खास बात यह है कि इस जरूरत को पूरी करने में मप्र के सभी बिजली संयंत्र नाकाफी साबित हो रहे हैं. क्योंकि इन संयंत्रों से इनकी उत्पादन झमता से कम उत्पादन हो पा रहा है. प्रदेश के सभी संयंत्रों से 6 हजार 200 मेगावाट के आसपास बिजली उत्पादन हो रहा है. इसमें जल, पवन, सौर, बायोगैस, ठोस अपशिष्ट पदार्थ और थर्मल बिजली घर संयंत्र शामिल हैं. हालांकि प्रदेश में इससे कहीं ज्यादा विद्युत उत्पादन क्षमता के बिजली संयंत्र है, लेकिन उनसे क्षमता के अनुरूप बिजली उत्पादन नहीं हो रहा है. यही वजह है कि डिमांड पूरी करने के लिए लगभग 8 हजार 500 मेगावाट बिजली सेंट्रल डिस्कॉम से लेनी पड़ रही है.
क्षेत्र | डिमांड (मेगावॉट) |
पूर्वी क्षेत्र | 4121 |
मध्य क्षेत्र | 4470 |
पश्चिमी क्षेत्र | 5334 |
रेलवे | 280 |
कितनी है मप्र के प्लांटों की बिजली उत्पादन झमता
- मप्र के पास सबसे बड़े बिजली संयंत्र के रूप में थर्मल पॉवर प्लांट है. जिनमें कुल 16 इकाइयां हैं और इनकी क्षमता 5 हजार 400 मेगावाट है.
- कोयले की कमी और तकनीकी कारणों से इन दिनों मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी की 5 इकाइयां बंद हैं, जबकि 11 इकाइयों से 3 हजार 500 मेगावाट के आसपास ही बिजली उत्पादन किया जा रहा है.
- मप्र शासन के चारों बिजली घरों में स्टॉक के नाम पर 5 लाख 8 हजार मीट्रिक टन कोयला ही बचा है.