भोपाल।प्रदेश मेंकोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान ही सरकार ने स्कूलों का संचालन बंद किए जाने के निर्देश दिए थे. इस दौरान बच्चों को ऑनलाइन क्लास के जरिए शिक्षा मुहैया कराई जा रही है. तीसरी लहर के संक्रमण की आशंका को देखते हुए सीएम ने भी महज पिछले हफ्ते ही यह बात दोहराई थी कि नर्सरी से लेकर 9 वीं कक्षा के स्कूलों को अभी नहीं खोला जाएगा. अब गेंद एक बार फिर स्कूल संचालकों के पाले में थी, लिहाजा बीते लगभग डेढ़ साल से नुकसान झेल रहे स्कूल संचालकों ने सरकार पर 'राहत पैकेज' देने के दबाव बनाया और ऑनलाइन क्लासेस भी बंद करने की धमकी भी दी. जिसका असर यह हुआ कि सरकार प्राइवेट स्कूल लॉबी के सामने झुक गई और सीएम ने खुद 25 जुलाई से 11 वीं और 12 वीं और आगे की स्थिति देखते हुए दूसरी कक्षाएं भी शुरू करने का फैसला किया है.
स्कूल लॉबी के सामने झुके शिवराज, अपनी ही बात से पलटे फीस बनी फांस
लगभग दो साल से कोरोना की मार झेल रहे प्राइवेट स्कूल संचालक छात्रों से सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के निर्देश से परेशान हैं. वे इसका लगातार विरोध कर रहे हैं. उनकी मांग सरकार से राहत पैकेज की भी है. अभिभावक मंच की भी शिकायत है कि जब स्कूल खुले ही नहीं तो पूरी फीस किस बात की. दूसरी तरफ स्कूल संचालक अभिभावकों पर पूरी फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर मध्यप्रदेश प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने प्रदेश में हड़ताल भी की थी.
5 जुलाई को यह बोले थे शिवराज
मध्य प्रदेश में कोरोना समीक्षा की बैठक में तीसरी लहर की आशंका को लेकर सीएम बेहद सख्त दिखे, उन्होंने कहा कि
तीसरी लहर की आशंका तक स्कूल पूरी तरह से बंद रहेंगे, इस दौरान बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई होगी, साथ स्कूल संचालक ट्यूशन फीस के अलावा और कोई अन्य राशि नहीं वसूलेंगे. सीएम शिवराज ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर से इनकार नहीं किया जा सकता है. सीएम ने कहा कि कोरोना के कहर के बीच स्कूल इसलिए नहीं खोले जाएंगे, क्योंकि हम बच्चों की जिंदगी दांव पर नहीं लगा सकते हैं. इसलिए तीसरी लहर के खतरे तक स्कूल नहीं खोले जाएंगे. सिर्फ पहले से निर्धारित ट्यूशन फीस ही ली जाएगी, इसमें कोई भी बढ़ोत्तरी नहीं की जा सकेगी, न ही किसी प्रकार का कोई शुल्क वसूला जाएगा.
शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री , मध्यप्रदेश
12 जुलाई को हड़ताल पर रहे स्कूल
कोरोना काल में लंबे समय से बंद निजी स्कूल सरकार से अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार हड़ताल पर रहे. इस दौरान ऑनलाइन कक्षाएं बंद रखी गईं. स्कूल संचालकों ने अपनी मांगो को लेकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौपे. स्कूलों की इस हड़ताल का असर गुना,सागर,जबलपुर समेत कई जिलों में देखने को मिला. निजी स्कूलों की मांग है कि बिना किसी निरीक्षण के शिक्षा सत्र 2022-23 से 2024-25 तक का नवीनीकरण किया जाए, छात्रवृत्ति के कार्य में स्कूलों को परेशान न किया जाए, बिना टीसी के छात्रों का शासकीय स्कूलों में प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए, RTE की फीस के लिए पोर्टल खुलवाए जाए. स्कूल संचालकों को सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता दी जाए.
14 जुलाई को सीएम का ट्वीट
पहले चरण के रूप में हमने तय किया है कि 26 जुलाई से जो सप्ताह प्रारंभ होगा उसमें 50% झमता के साथ हम 11 वी और 12 वी कक्षा के विधालय प्रारंभ करेंगे. सप्तार में एक दिन एक वैच आएगा और अगले दिन दूसरा बैच आएगा. इसी हिसाबह से महाविधायल आधी झमता के साथ फेजेज में प्रारंभ करेगे.हमारे बच्चे विधायलय व महाविधायलय बंद होने से कारण कई दिनों से अध्ययन नहीं कर पा रहे हैं. ऑनलाइन क्लास में वह बात नहीं है जो परस्पर संबाद में है. बच्चे कुंठित हो रहे हैं और स्कूल संचालक परेशान हैं अबह यह जरूरी है कि हम विधायलय, महाविधायलय को खोलने की प्रक्रिया प्रारंभ करें।
शिवराज सिंह चौहान का ट्वीट
प्राइवेट स्कूल लॉबी के सामने झुक गए सीएम ?
स्कूल लॉबी के सामने झुके शिवराज, अपनी ही बात से पलटे
सीएम के 5 जुलाई और 14 जुलाई को दिए गए बयानों के मायने तो यही निकलते हैं कि प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की हड़ताल और ऑनलाइन क्लास बंद किए जाने की धमकी और दबाव के आगे सीएम शिवराज सिंह ने घुटने टेक दिए हैं. क्या 25-26 जुलाई से स्कूल खोले जाने का सरकार का फैसला आननफानन या दबाव में लिया गया फैसला नहीं दिखाई देता. ऐसे में सवाल यह उठता है कि कल तक नौनिहालों कि चिंता करने वाले बच्चों के 'मामा' अचानक बदल कैसे गए. क्या स्कूल खोलने से पहले अभिभावकों की राय जानना भी जरूरी नहीं समझा गया. क्या उनसे पूछा गया कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार हैं या नहीं और सबसे बड़ा सवाल यह कि क्या कोरोना की तीसरी लहर का खतरा अब नहीं रहा है.
सरकार को स्कूलों से बड़े पैमाने पर आता है टैक्स
स्कूल लॉबी के सामने झुके शिवराज, अपनी ही बात से पलटे
दरअसल प्राइवेट स्कूल खोलने के पीछे सरकार का एक तर्क यह भी है कि प्राइवेट स्कूलों से सरकार को मिलने वाला राजस्व भी महत्वपूर्ण होता है. मध्यप्रदेश में 44 हजार के आसपास प्राइवेट स्कूल हैं. जिनमें से 1350 सीबीएसई के और 50 आईसीएसई से संबंधित हैं. जबकि बाकी स्कूल मध्य प्रदेश बोर्ड से संबंधित हैं. स्कूलों को साल भर में 1500 सौ से दो हजार करोड़ स्कूल फीस के रूप में मिलते हैं. एजुकेशन पर टैक्स नहीं होने के चलते यह सारा पैसा स्कूल संचालकों के पास जाता है. सरकार को इन स्कूलों से राजस्व मिलता है,ऐसे में इनका दबाव सरकार पर बना हुआ है.स्कूल संचालकों से सरकार को मिलने वाला पैसा प्रॉपर्टी टैक्स और अन्य टैक्सेस के माध्यम से मिलता है.
कांग्रेस ने बताया आत्मघाती कदम
स्कूल लॉबी के सामने झुके शिवराज, अपनी ही बात से पलटे
स्कूल खोलने के सरकार के फैसले पर कांग्रेस ने निशाना साधा है. कांग्रेस प्रवक्ता अजय यादव ने इसे सरकार का सरकार का आत्मघाती कदम बताया है. उनका कहना है सरकार निजी स्कूल संचालकों के दबाव में ऐसा फैसला ले रही है जिसमें सरकार और स्कूल संचालकों की मिली भगत साफ नजर आती है. स्कूल संचालको ने दवाब बनाकर सरकार से फैसला करवाया है.
1 करोड़ 56 हजार है बच्चों की संख्या
स्कूल लॉबी के सामने झुके शिवराज, अपनी ही बात से पलटे
मध्य प्रदेश में 99 हजार सरकारी स्कूल है. जो कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक संचालित होते हैं. इनमें प्राइवेट स्कूलों की संख्या 44 हजार है. इनमें 1 करोड़ 56 हजार बच्चे पढ़ते हैं. इनमें 96 लाख बच्चे सरकारी स्कूलों में, तो प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की संख्या 60 लाख के करीब है. ऐसे में कुछ दिन पहले बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित रहने वाले सीएम अचानक इतने निश्चिंत कैसे हो गए कि 25 जुलाई से 50% क्षमता के साथ स्कूलों को खोलने के निर्देश किए जारी स्कूलों को खोलने की निर्देश जारी कर दिए हैं.
स्कूल लॉबी के सामने झुके शिवराज, अपनी ही बात से पलटे
जब तक बच्चों को वैक्सीन नहीं तब तक नहीं भेजेंगे स्कूल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 25-26 जुलाई से स्कूलों में 11वीं और 12वीं की कक्षाओं के संचालन के निर्देश दिए जाने के बाद ईटीवी भारत ने प्रदेश के 4 बड़े शहरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में अभिभावकों और स्कूली छात्रों से बातचीत की और उनकी स्कूल खोले जाने को लेकर राय जानी. जिसमें अभिवावकों का साफ कहना था कि वे अभी अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है. वहीं कक्षा 11 और 12 में अध्यनन करने वाले छात्रों का भी कहना था कि जब तक सभी को वैक्सीन नहीं लग जाती तब तक स्कूल जाने में खतरा नजर आता है. अभिभावक कह रहे हैं कि जब तक बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं करा देती और तीसरी लहर का खतरा खत्म नहीं हो जाता वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे. वे ऑनलाइन क्लासेस ही जारी रखे जाने के पक्ष में हैं.ज्यादातर अभिभावकों और छात्रों का कहना है कि मौजूदा हालात में स्कूल खोले जाने का निर्णय सही नहीं है.