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शिवराज सरकार ने बदला कमलनाथ सरकार का फैसला, जनता ही चुनेगी महापौर और अध्यक्ष

प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में महापौर और अध्यक्ष पद का चुनाव अब जनता ही करेगी. पिछली कमलनाथ सरकार ने नगर पालिका अधिनियम में जनवरी 2020 में संशोधन कर महापौर और अध्यक्ष का चुनाव जनता की जगह पार्षदों के माध्यम से कराने का निर्णय लिया था. जिसे शिवराज सरकार फिर बदल रही है.

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शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री

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Published : Jun 23, 2020, 11:31 AM IST

Updated : Jun 23, 2020, 1:41 PM IST

भोपाल। शिवराज सरकार अब तत्कालीन कमलनाथ सरकार का एक और फैसला पलटने जा रही है. आगामी नगरीय निकाय चुनाव में महापौर और अध्यक्ष का चुनाव अब सीधे जनता कर सकेगी. शिवराज सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में इसको लेकर संशोधन विधेयक ला रही है. साथ ही चुनाव से 6 माह पहले ही वार्डों का परिसीमन हो सकेगा. मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की अध्यक्षता में गठित वरिष्ठ सचिव समिति ने नगरीय विकास एवं आवास विभाग को संशोधन विधेयक लाने की अनुमति दे दी है.

पिछली कमलनाथ सरकार ने नगर पालिका अधिनियम में जनवरी 2020 में संशोधन कर महापौर और अध्यक्ष का चुनाव जनता की जगह पार्षदों के माध्यम से कराने का निर्णय लिया था. जिसे शिवराज सरकार फिर बदल रही है. इसके अलावा चुनाव से 2 माह पहले तक वार्ड परिसीमन कराने व कलेक्टर को चुनाव के बाद पहला सम्मेलन बुलाने का अधिकार भी दिया गया था. कांग्रेस द्वारा किए गए संशोधन का बीजेपी ने जमकर विरोध किया था. बीजेपी ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर इसका विरोध भी जताया था. उधर सरकार द्वारा 6 माह पहले तक परिसीमन कराए जाने के निर्णय के बाद निकाय और वार्ड की सीमा का परिसीमन हो जाएगा इसके बाद ना तो नए निकाय का गठन होगा और ना ही वार्डों की संख्या बढ़ेगी.

अजय सिंह यादव, कांग्रेस प्रवक्ता

बीजेपी सरकार के इस निर्णय का कांग्रेस ने विरोध जताया है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय यादव ने आरोप लगाया है कि सरकार राजनीति से प्रेरित होकर इस तरह के निर्णय ले रही है. क्योंकि बीजेपी को पता है की नगरीय निकाय चुनाव में उसे भारी नुकसान होगा. फिलहाल कांग्रेस सरकार में लिए गए निकाय चुनाव के इस निर्णय को पलट दिया गया है.

Last Updated : Jun 23, 2020, 1:41 PM IST

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