भोपाल।पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक तरफ भारत लगातार विकास कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ अपनी सभ्यता और संस्कृति की जड़ों की ओर भी लौट रहा है. यह बात केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री एल. मुरुगन ने रविन्द्र भवन में चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल के चतुर्थ संस्करण के समापन समारोह में कही. उन्होंने कहा अपनी संस्कृति को सब तक पहुंचाने के लिए जरूरी है कि हम उससे जुड़ी कहानियां भी लोगों को बताएं. उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि चित्र भारती के माध्यम से इस तरह की फिल्में बनाई जा रही हैं.
क्यों नहीं बनाई जाती भारतीय संस्कृति को दिखाने वाली फिल्में: मंत्री मुरुगन ने कहा कि भारतीय साहित्य में अनेक ऐसी कहानियां भरी पड़ी हैं, जो भारत की संस्कृति को दर्शाती हैं. लेकिन हैरानी की बात यह है कि आखिर इन पर फिल्में क्यों नहीं बनाई जाती ?. वर्तमान समय में फिल्में एक सशक्त माध्यम हैं, जिसके जरिये दुनिया तक भारत की बात पहुंचाई जा सकती है. उन्होंने भारतीय चित्र साधना को चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल आयोजन करने की बधाई दी. साथ ही कहा कि समारोह में बड़ी संख्या में फिल्म निर्माताओं ने भाग लिया यह अहम बात है.
'द कश्मीर फाइल्स' डायरेक्टर का हुआ सम्मान:समारोह में 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री एवं अभिनेत्री पल्लवी जोशी का सम्मान किया गया. इस दौरान पल्लवी जोशी ने कहा कि चित्र भारती से जुड़े कलाकारों को विवेक अग्निहोत्री की आगामी फिल्म में अवसर मिलेगा और उन्हें एक-एक लाख रुपये भी दिये जाएंगे. इस मौके पर प्रख्यात अभिनेता डॉ. गजेंद्र चौहान और निर्देशक अभिनव कश्यप ने भी अपने विचार सबके सामने रखे.
इन्हें मिले पुरस्कार:मंत्री एल. मुरुगन ने पांच विभिन्न श्रेणियों में कुल 10 लाख के नगद पुरस्कार भारतीय चित्र साधना की ओर से दिए. लघु फिल्म 'छोटी सी बात' एवं डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'भारत- प्रकृति का बालक' के निर्माता कबीर शाह और दीपिका कोठारी को 1-1 लाख रुपये की राशि पुरस्कार स्वरूप दिया गया. शॉर्ट फिल्म में मुकेश कुमार की 'ब्रूनो' को द्वितीय और स्मिता भाटी की 'विसलिंग मशीन' को तृतीय पुरस्कार से नवाजा गया. सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिए आनंद कुमार चौहान (वाशिंग मशीन), सर्वश्रेष्ठ पुरुष अभिनेता राज अर्जुन (पीलीभीत) और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार अश्विनी कसर (पाउली) को दिया गया. हरि प्रसाद की फिल्म 'अमेय', विकास गौतगुटिया की 'अननॉन नंबर' और जगन्नाथ बिस्वास की 'चुड़का मुर्मू' का विशेष उल्लेख किया गया.