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mp में 1 हजार करोड़ से बनेगी स्टेच्यू ऑफ 'वननेस', ओंकारेश्वर में स्थापित होगी आदि शंकराचार्य 108 फीट ऊंची प्रतिमा

मध्य प्रदेश सरकार प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. आपको बता दें सीएम शिवराज सरकार ने 2017 में नर्मदा यात्रा के दौरान संकल्प लिया कि वे भगवान आदिगुरु शंकराचार्य की विशालकाय मूर्ती बनवाएगें. खास बात यह है कि यह प्रतिमा विश्व में सबसे ऊंची होगी. राज्य सरकार ने प्रतिमा स्थापना को लेकर तैयारी तेज कर दी हैं.

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Published : Nov 18, 2021, 7:46 PM IST

Updated : Nov 19, 2021, 6:34 PM IST

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mp में 1 हजार करोड़ से बनेगी स्टेच्यू ऑफ 'वननेस'

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. आपको बता दें सीएम शिवराज सरकार ने 2017 में नर्मदा यात्रा के दौरान संकल्प लिया कि वे भगवान आदिगुरु शंकराचार्य की विशालकाय मूर्ती बनवाएगें. खास बात यह है कि यह प्रतिमा विश्व में सबसे ऊंची होगी. राज्य सरकार ने प्रतिमा स्थापना को लेकर तैयारी तेज कर दी. 25 नवंबर को दिल्ली में दुनियाभर के प्रसिद्ध वास्तुविदों को बुलाया गया है. इनसे मुलाकात के दौरान ओंकारेश्वर में स्थापित होने वाली आदि शंकराचार्य की प्रतिमा और अंतराष्ट्रीय वेदांत संस्थान के बारे में सुझाव लिए जाएंगे.

mp में 1 हजार करोड़ से बनेगी स्टेच्यू ऑफ 'वननेस'
1000 करोड़ का बजट, 108 फीट ऊंची, अष्टधातु की होगी प्रतिमा

गुजरात के केवड़िया में नर्मदा किनारे बनाई गई सरदार वल्लभभाई पटेल की विशालकाय मूर्ती ( स्टेच्यू ऑफ युनिटी) के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्च की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ती (स्टेच्यू ऑफ वननेस - एकात्म) 108 फिट की अष्टधातु की प्रतिमा बनाए जाने का ऐलान किया था. 2018 में इसकी घोषणा की गई, लेकिन अब 2021 खत्म होने को है फिलहाल मूर्ती की स्थापना को लेकर धीमा प्रक्रिया चल रही थी जिसमें अचानक से तेजी आ गई है.

  • 25 नवंबर को मप्र सरकार ने दिल्ली में एक बैठक बुलाई है. जिसमें कॉनट्रेक्टरों को अपने विचार रखने के लिए बुलाया गया है.
  • मीटिंग में पूरी दुनिया के नामी कॉनट्रेक्टर से शामिल होंगे. जो इस पूरी परियोजना को लेकर अपने सुझाव रखेगें.
  • मूर्ती बनाने वाली कंपनी टर्नर सिक्का कन्सोर्टियम ने स्टेच्यू ऑफ यूनिटी और दुबई का बुर्ज खलीफा भी बनाया है. मीटिंग में इस कंपनी को भी बुलाया गया है.
  • माना जा रहा है कि ओंकारेश्वर में स्टेच्यू ऑफ वननेस (एकात्मता) को बनाने का काम भी टर्नर सिक्का कन्सोर्टियम ही करेगी.
  • परियोजना के लिए 1000 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है. इस अंतराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान और आदि शंकराचार्य की मूर्ति का निर्माण अगले 2 साल के अंदर पूरा कर लिया जाएगा.

दुनियाभर में अनूठा होगा अद्वैत वेदांत संस्थान

प्रदेश की संस्कृति और पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर का कहना है कि आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान अपने आप में दुनिया का अनूठा संस्थान होगा. जिसमें भगवान आदि शंकराचार्य के जीवन दर्शन को प्रभावी रूप से दर्शाने के लिए शंकर संग्रहालय की भी स्थापना की जाएगी. उन्होंने बताया कि इस मूर्ती की स्थापन के पीछे का मकसद जिन भगवान आदिगुरु शंकराचार्य ने हिंदुओं को एक रखा उनके स्वरुप उनके कार्य और उनके बारे में लोग जान सकें.

mp में 1 हजार करोड़ से बनेगी स्टेच्यू ऑफ 'वननेस'
मोदी की नकल करते हैं शिवराज सिंह- कांग्रेस ने कसा तंजसीएम शिवराज सिंह के इस संकल्प पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है. कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने तंज कसते हुए कहा है कि शिवराज की नजर मोदी की कुर्सी पर हैं, इसलिए वे मोदी की नकल करते हैं. जैसे मोदी करते हैं.. उन्ही पदचिन्हों पर शिवराज चलने लगते हैं. इसका ताजा उदाहरण स्टेच्यू ऑफ वननेस है. आपको बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 9 फरवरी 2017 को नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान ओंकारेश्वर में तीन संकल्प लिए थे. पहला संकल्प मांधाता पर्वत पर 108 फीट ऊंची भगवान आदि शंकराचार्य की मूर्ति, स्टेच्यू ऑफ वननेस का निर्माण कराना. दूसरा आदि शंकराचार्य के जीवन दर्शन को प्रभावी रूप से अभिव्यक्त करने के लिए शंकर संग्रहालय की स्थापना कराना. तीसरा संकल्प प्रत्येक घर में अद्वैत बोध का जागरण कराने हेतु आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना कराना. शिवराज सिंह अब एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं इसलिए उन्होंने अपने संकल्पों को पूरा करने की तैयारी शुरु कर दी है. कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल उठाए कि मूर्ति स्थल ओंकारेश्वर नहीं था.स्वरूपानंद सरस्वती ने भी किया था विरोध

ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की मूर्ति स्थापित किए जाने का शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती भी विरोध कर चुके हैं. उन्होंने शिवराज की एकात्म यात्रा का भी विरोध किया था. इस यात्रा पर सवाल उठाते हुए स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा था कि शंकराचार्य का न्यासस्थल ओंकारेश्वर नहीं था. सरकार द्वारा गलत प्रचार कर ओंकारेश्वर में बताया जा रहा है, जबकि उनका संन्यास स्थल नरसिंहपुर स्थित नर्मदा किनारे एक प्राकृतिक गुफा में है, जिसके दर्शन स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अपनी धर्मपत्नी के साथ नर्मदा यात्रा के दौरान कर चुके हैं. उन्होंने बताया था कि शंकराचार्य का आविर्भाव काल युधिष्ठिर संवत 2663 माना गया है, जो कि ईसापूर्व 487 ई. है. इसके अनुसार उनका जन्म 2500 वर्ष पूर्व हुआ था. शंकराचार्य का संन्यासस्थल नर्मदा के किनारे एक प्राकृतिक गुफा में है, ना कि ओंकारेश्वर में.

Last Updated : Nov 19, 2021, 6:34 PM IST

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