जयपुर/भोपाल।ऐसे समय में जब देश मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आए आठ चीतों के लिए जश्न मना रहा है, राजस्थान में वन्यजीव प्रेमी निराश हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि चीते राजस्थान में आएंगे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, यह राजस्थान का नुकसान है और एमपी का फायदा है. कुछ वन अधिकारियों को लगता है कि राजस्थान इन चीतों का घर हो सकता था, लेकिन यहां के राजनीतिक नेताओं, नौकरशाहों और वन विभाग ने इसके लिए इच्छाशक्ति नहीं दिखाई. उन्होंने कहा कि बाघों पर ध्यान केंद्रित करने वाले नेताओं ने अगर चीतों पर ध्यान दिया होता, तो इन बड़ी बिल्लियों को मध्य प्रदेश के बजाय राजस्थान में लाया जा सकता था. Cheetah Politics
ऐसे हारा राजस्थान चीता की दौड़:जब चीतों को भारत लाने के प्रयास किए जा रहे थे, तब भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) ने चार स्थानों- राजस्थान में रावतभाटा-गांधीसागर और शाहगढ़-बल्ज और मध्य प्रदेश में कुनो और नौरादेही को सबसे अनुकूल स्थान माना था. डब्ल्यूआईआई टीमें भी 2013-14 में शाहगढ़ (जोधपुर) और 2014-15 में रावतभाटा (चित्तौड़गढ़) स्थलों का निरीक्षण करने के लिए राजस्थान आईं. सूत्रों ने कहा कि डब्ल्यूआईआई की टीमों को दोनों स्थान पसंद हैं, लेकिन राजस्थान इस मुद्दे के राजनीतिकरण के कारण चीतों को घर देने की दौड़ हार गया.