भोपाल।मंत्री बनने का सपना देख रहे बीजेपी विधायकों और कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए सिंधिया समर्थकों का इंतजार और भी लंबा हो सकता है. राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश में अपेक्षित मंत्रिमंडल विस्तार अटकता नजर आ रहा है. कहीं न कहीं इस विस्तार से बीजेपी को बगावत का डर भी सता रहा है, शायद इसीलिए मंत्री पद की लालसा में बैठे नेताओं को इंतजार और लंबा होने की संभावना है. ऐसे में बीजेपी नहीं चाहती की मंत्रिमंडल में जगह नहीं पाने वाले विधायकों की नाराजगी राज्यसभा चुनाव में दिखाई दे.
राज्यसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल विस्तार
पहले मंत्रिमंडल विस्तार इसी हफ्ते में होने का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन राज्यसभा चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद माना जा रहा है कि अब 19 जून के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार होगा. जिसकी सबसे बड़ी वजह है राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग का डर. विधानसभा में एक विधेयक के लिए होने वाली वोटिंग के समय बीजेपी विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी थी, इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह राज्यसभा चुनाव की वोटिंग का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए दर्जनों लोग तैयार हैं और पार्टी को ये अंदेशा है कि जिन लोगों को मंत्री पद नहीं मिला वो पार्टी के खिलाफ भी जा सकते हैं.
बागी दे सकते हैं धोखा
सत्ता परिवर्तन के बाद लोग अपने स्वार्थ के लिए ही बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं, ऐसे में यदि उन्हें कुछ नहीं मिलता है तो वे भी अपना निर्णय बदल सकते हैं. साथ ही बीजेपी के ही कई बड़े नेता पार्टी से नाराज चल रहे हैं, जिन्हें इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने की खबरें हैं, ऐसे में नेता भी शिवराज के साथ खड़े नहीं हो पाएंगे.
बड़े नेता मंत्री पद से दूर
माना जा रहा है कि इस बार पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन, विजय शाह मंत्रिमंडल से बाहर रहेंगे, ऐसे में राज्यसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल विस्तार बीजेपी के लिए खुद के पैर में कुल्हाणी मारने जैसा होगा, जबकि अन्य विधायकों के भी बागी होने का भी डर सता रहा है, जिनमें शरद कौल, नारायण त्रिपाठी शामिल हैं. वहीं काग्रेस के बागी सिंधिया समर्थक भी मंत्री बनने के इंतजार में बैठे हैं.
शिवराज की है मजबूरी
मंत्रिमंडल विस्तार का असर आगामी 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों पर भी पड़ेगा. शायद यही वजह है कि इस बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कुछ कमजोर नजर आ रहे हैं क्योंकि इस बार वे भी अपने चहेतों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दिला पा रहे हैं और अब एक बार फिर से दल-बदल की सम्भावनाएं भी बढ़ रही हैं. अब देखना ये होगा कि बीजेपी और कांग्रेस में कौन सी पार्टी सफल हो पाती है.