भोपाल।उपचुनाव के लिए टिकिट वितरण के बाद से बीेजेपी में मचा असंतोष कहीं पार्टी को न ले डूबे. हालांकि पार्टी के बड़े नेता और खुद सीएम शिवराज बागियों को मनाने के मैदान में उतर गए हैं. इसमें उन्हें सफलता भी मिलती दिखाई दे रही है, लेकिन भितरघात नहीं होगा इसकी फिलहाल कोई गारंटी नहीं है. जिन्हें टिकिट नहीं मिला वे मायूस हैं, बीजेपी ने इसके पीछे वंशवाद को खत्म करने का तर्क दिया लेकिन अंदरखाने उसके अपने ही पार्टी के खिलाफ हो गए हैं. ऐसे में इस बात का अंदेशा भी बना हुआ है कि टिकिट की आस में बैठे नेताओं की टूटी उम्मीद कहीं पार्टी के जीत के सपने को न तोड़ दे.
खंडवा -खंडवा चुनाव में पार्टी ने ज्ञानेश्वर पटेल का पर्चा भरा लेकिन पार्टी से नाराज नंदकुमार सिंह के बेटे हर्ष सिंह नामांकन में नहीं पहुंचे.
रैगावं- रैगांव विधानसभा में स्व.जुगलकिशोर बागरी के पुत्र पुष्पराज, देवराज बागरी और उनकी पत्नि ने नामांकन फार्म खरीदकर संकेत दे दिया है कि बागरी परिवार बगावत के मूड में है. हालांकि खुद सीएम यहां बागियों को मनाने पहुंचे.बीजेपी के बड़े नेता भी यह दावा कर रहे हैं कि कहीं कोई बगावत नहीं है, सभी से बातचीत हो चुकी है और पार्टी पूरी तरह से एकजुट है, लेकिन कांग्रेस को बीजेपी में फैले इस असंतोष में उम्मीद दिखाई देती है.
पृथ्वीपुर-बीजेपी के बड़े नेता भले ही बागियों को मना लेने और उसके बीतचीत होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन पृथ्वीपुर और जोबट सीट पर कुछ ऐसी ही स्थिति बनी हुई है. पृथ्वीपुर में सीएम की सभा में टिकिट की आस लगाए बैठे अनिल पांडे और गणेशीलाल मौजूद तो रहे, लेकिन ये स्थानीय नेता शिशुपाल को बाहरी मानते हैं. शिशुपाल ने एसपी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की है. यहां भीतरघात का फायदा कांग्रेस उम्मीदवार नितेंद्र सिंह को मिलने की उम्मीद ज्यादा दिखाई दे रही है. ऐसे में न सिर्फ सीएम शिवराज सिंह बल्कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के सामने भी इन सीटों को पार्टी की छोली में डालने और खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती है. हालांकि वीडी शर्मा ने टिकिट वितरण में जातीय समीकरण को साध कर पार्टी की राह आसान करने की कोशिश जरूर की थी, लेकिन स्थानीय नेताओं की अनदेखी करने पर उन्हें शायद भितरघात का अंदेशा नहीं रहा होगा.