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आदिवासियों को लुभाने के लिए बीजेपी का नया दांव, शबरी लीला और प्रभु राम के जरिए जीतेंगे वनवासियों का भरोसा - एमपी में शुूरू हुई शबरी लीला

शिवराज सिंह हों या कमलनाथ दोनों आदिवासी वोट बैंक पर अपना दावा मजबूत करने और आदिवासियों को लुभाने के लिए तमाम घोषणाओं के साथ साथ धर्म का सहारा लेने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं. हालांकि इस कोशिश में बीजेपी, फिलहाल कांग्रेस से आगे निकलती दिख रही है. पार्टी आदिवासी क्षेत्रों में रामलीला की तर्ज पर शबरी लीला का आयोजन करने जा रही है.

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आदिवासियों को लुभाने के लिए बीजेपी का नया दांव

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Published : Oct 19, 2021, 6:56 PM IST

Updated : Oct 19, 2021, 7:54 PM IST

इंदौर।भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल जानते हैं कि अगर उपचुनाव में जीत हासिल करना है तो आदिवासी वोट बैंक को अपने पाले में करना बेहद जरूरी है. यही वजह है कि शिवराज सिंह हों या कमलनाथ दोनों आदिवासी वोट बैंक पर अपना दावा मजबूत करने और आदिवासियों को लुभाने के लिए तमाम घोषणाओं के साथ साथ धर्म का सहारा लेने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं. हालांकि इस कोशिश में बीजेपी, फिलहाल कांग्रेस से आगे निकलती दिख रही है. पार्टी आदिवासी क्षेत्रों में रामलीला की तर्ज पर शबरी लीला का आयोजन करने जा रही है.

आदिवासियों को लुभाने के लिए बीजेपी का नया दांव
आदिवासियों को लुभाने के लिए बीजेपी का नया दांव

आदिवासियों के राम, शबरी लीला के जरिए संदेश देगी बीजेपी

पहले तो खंडवा लोकसभा सीट सहित 3 विधानसभाओं को जीतने की जंग और इसके साथ ही 2023 की तैयारी. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही आदिवासियों को लुभाने की जी तोड़ कोशिश कर रही हैं. बीजेपी इस लड़ाई में आगे निकलती दिखाई दे रही है. उपचुनाव में सभी चारों सीटों को जीतने का दावा करने वाली बीजेपी आदिवासी समाज के बीच अपनी पैठ मजबूत करने के लिए भगवान राम और वनवासी समाज से आने वाली प्रभु श्रीराम की अनन्य भक्त शबरी को आगे लाई है. आदिवासी वोट बैंक का समर्थन हासिल करने के लिए प्रदेश के 89 ब्लॉक में भाजपा रामलीला के साथ ही शबरी लीला का भी मंचन कराने जा रही है. प्रदेश की संस्कृति एंव पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने मंगलवार को इंदौर के महू से शबरी लीला कार्यक्रम की शुरूआत भी कर दी.

आदिवासियों को लुभाने के लिए बीजेपी का नया दांव

भाजपा को फायदा दिलाएगी 'शबरी लीला'

बीजेपी की इस मुहिम का मकसद साफ है. पार्टी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को वनवासी राम और शबरी के राम बताकर आदिवासी समाज से जोड़ रही है. पार्टी का मानना है कि ऐसा करने से आदिवासी समाज पार्टी के साथ मजबूती से जुड़ेगा और ऐसा हुआ तो उपचुनाव ही नहीं 2023 के राज्य विधानसभा चुनावों में भी आदिवासी समाज के साथ से एमपी में कमल ही खिलेगा. शबरी लीला की शुरूआत करते हुए पर्यटन मंत्री ने भी यही भगवान राम और वनवासियों के बीच के अनूठे और अदभुत संबध का जिक्र करते हुए यही संदेश देने की कोशिश की है.

आदिवासियों को लुभाने के लिए बीजेपी का नया दांव
कांग्रेस के साथ जयस की भी ढूंढी काट
आपको बता दें कि जहां उपचुनाव होना है उन चार सीटों में तीन सीट खंडवा, जोबट और रैगांव में आदिवासियों का बड़ा वोट बैंक है. इन इलाकों में बीजेपी को कांग्रेस के अलावा आदिवासियों के संगठन जयस (जय युवा आदिवासी संगठन) से भी चुनौती मिल रही है. इन इलाकों में जयस का प्रभाव भी खासा बढ़ रहा है. लिहाजा भाजपा रामलीला के जरिए आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में कांग्रेस के अलावा नए नवेले जयस संगठन की भी काट ढूंढना चाहती है. यही वजह है कि बीजेपी रामायण में प्रभु राम के साथ जुड़े रहे शबरी और निषादराज जैसे किरदारों के जरिए आदिवासियों की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश में जुट गई है.
Last Updated : Oct 19, 2021, 7:54 PM IST

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