भोपाल। मंत्रालय में आयोजित वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक में सरदारपुर के संरक्षण और सैलाना क्षेत्र में दुर्लभ पक्षी खरमोर के संरक्षण के लिए नागरिकों में जागरूक लाने पर बात हुई, वहीं विलुप्त हो रही सोन चिड़िया के संरक्षण पर भी चर्चा हुई. माना जा रहा था की सरदारपुर और सैलाना की जमीनें डेनोटिफाई करके जंगल मुक्त की जाएंगी, लेकिन फिलहाल इस मंजूरी का प्रस्ताव अटक गया है. हालांकि बैठक में वन्य प्राणियों की जगह मनुष्यों की ज्यादा चिंता की गई. मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्य-प्राणी और मनुष्य दोनों का अस्तित्व और सुरक्षा महत्वपूर्ण है, इस कार्य में ऐसा समन्वय होना चाहिए कि किसी भी पक्ष को हानि न हो. बैठक में आधा दर्जन प्रस्ताव लाए गए, दक्षिण अफ्रीका से लाए गए आठ चीतों की बात हुई और मुख्यमंत्री ने बोर्ड को बधाई दी और कहा कि कूनो पालपुर में चीतों के आने के बाद अब प्रदेश चीता स्टेट भी बन गया है. वन्य प्राणी बोर्ड की ये 23वीं बैठक थी जिसे सी एम ने संबोधित किया.
10 सालों से नहीं दिखी सोनचिरैया, खरमोर: मध्यप्रदेश में खरमोर और सोन चिरैया के संरक्षण और वंश वृद्धि की तमाम कोशिशों के बाद भी इनकी संख्या को नहीं बढ़ाया जा सका. सोन चिरैया और खरमोर को दुर्लभ और संकटग्रस्त पक्षियों की श्रेणी में रखा गया है. इसके तहत सोन चिरैया के संरक्षण के लिए करैरा अभ्यारण में 202 वर्ग किलोमीटर राजस्व क्षेत्र एवं घाटीगांव हुकना पक्षी अभ्यारण के लिए 398.92 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अधिसूचित किया गया था, लेकिन तमाम कोशिश के बाद भी यहां सोनचिरैया दिखाई नहीं दी. इसी तरह खरमोन के लिए रतलाम के सैलाना और धार जिले के सरदारपुर में 342 वर्ग किलोमीटर भूमि संरक्षित की गई, खरमोर के लिए सरकार 'खरमोर बताओ 500 रुपए पाओ' योजना भी लेकर आई, लेकिन पिछले दस सालों से इस पक्षी को यहां नहीं देखा गया.