भोपाल।इस महीने की शुरुआत में भोपाल जिला प्रशासन ने एक बस चालक के अवैध घर को ध्वस्त कर दिया, जिसने एक नामी निजी स्कूल की नर्सरी की छात्रा के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया था. चालक को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद, स्थानीय प्रशासन के अधिकारी उसके अजय नगर स्थित अस्थाई घर पर हथौड़ा चला गए. प्रशासन ने परिवार के सदस्यों को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने का अवसर भी नहीं दिया. परिवार ने आरोप लगाया कि उनके घर को गिराने से पहले कोई पूर्व नोटिस नहीं दिया गया था.
जब घर बन रहा था तब कहां थे अधिकारी: विध्वंस कार्य में शामिल एक अधिकारी ने कार्रवाई को उचित ठहराते हुए कहा कि ''संरचना अवैध थी इसलिए हमने इसे ध्वस्त कर दिया''. लेकिन एक सामाजिक कार्यकर्ता ने पूछा है कि ''यह अवैधता प्रशासन के संज्ञान में कैसे आई, जब उसने अपराध किया था तब. जब घर बनाया जा रहा था तब वे कहां थे"'? उन्होंने कहा कि अधिकारियों को चालक के परिवार के सदस्यों के बारे में सोचना चाहिए था. जिसमें उसकी पत्नी और दो नाबालिग लड़कियां शामिल हैं, इसके अलावा माता-पिता भी हैं जिनके सिर पर छत नहीं है.
आरोपी के पिता बोले पहले से नहीं दिया नोटिस: आरोपी ड्राइवर के 52 वर्षीय पिता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि ''अब हम अपनी बेटी और दामाद के साथ कोलार इलाके में रहने को मजबूर हैं. कोई हमारी नहीं सुन रहा है. हमें प्रतिपादित किया गया है. मकान तोड़ने से पहले हमें कोई नोटिस नहीं दिया गया था. अधिकारी हमारे घर आए और तुरंत वहां से चले जाने को कहा और घर को ध्वस्त कर दिया''. (Bulldozer On Bus driver house)
घटना के साक्ष्य और गवाहों को लेकर बाल आयोग सख्त, SIT से पांच बिंदुओं पर मांगी जांच रिपोर्ट
ड्राइवर की पत्नी ने पूछा, हम कहां जाएं:ड्राइवर की पत्नी ने पूछा है कि ''बारिश के मौसम में हमारा घर उजड़ गया. दो छोटी बच्चियों को लेकर अब हम कहां जाएंगे''? एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस तरह की दंडात्मक कार्रवाई को पूरी तरह से अनुचित करार दिया. एनजीओ आरंभ की निदेशक अर्चना सहाय ने पीटीआई से कहा, 'अधिकारियों को आरोपी व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों को दंडित नहीं करना चाहिए. उन्हें अपने परिवार के सदस्यों, विशेष रूप से नाबालिग बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता के बारे में सोचना चाहिए, जिन्हें अपने करीबी रिश्तेदारों के कामों के लिए भुगतना पड़ता है. सहाय ने कहा कि प्रशासन की अवैधता को विध्वंस अभियान चलाने का आधार मानने का तर्क ठोस नहीं लगता.
परिवार को मिली बिना गलती की सजा:एनजीओ की निदेशक अर्चना सहाय ने कहा, "किसी के अपराध करने के बाद ही सरकार के अधिकारी जागते हैं. अगर इस तरह की कार्रवाई की जाती है, तो सरकार को उन विस्थापित परिवार के सदस्यों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए, जो बिना किसी गलती के पीड़ित हैं''. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के मध्य प्रदेश राज्य सचिवालय के सदस्य बादल सरोज ने बस चालक के घर को तोड़ने के लिए भोपाल जिला प्रशासन की बेरहम रवैया के लिए आलोचना की. जिस व्यक्ति ने कथित रूप से अपराध किया है, उसके घर को गिराना पूरी तरह से अनुचित है. किसी मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का मतलब यह नहीं है कि कोई व्यक्ति अपराध का दोषी है. सरोज ने कहा कि ''यह अदालतों का काम है कि वे स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई करें और फिर किसी व्यक्ति को सजा दें, प्रशासन इस तरह का काम नहीं कर सकता है''.