भोपाल।सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों पर प्रज्ञा प्रवाह बैठक के समापन के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan bhagwat) ने कहा सभी धर्मों के मूलगुण सत्य, शुचिता, करुणा और परिश्रम हैं. धर्म की रक्षा करना है, तो धर्म का आचरण होना जरूरी है. हमारे गुण और धर्म ही हमारे अस्त्र-शस्त्र हैं. कट्टरपंथियों के निशाने पर संघ हमेशा रहा है इसे लेकर भी मोहन भागवत ने साफ संदेश दिया कि संघ किसी का प्रतिस्पर्धी नहीं है. संघ धर्म और राष्ट्र के उत्थान के लिए संगठन, संस्था और व्यक्तियों का सहयोगी है. सभी आगे आएंगे और सहयोग करेंगे तो एक श्रेष्ठ मानवता का निर्माण होगा.
लोकतंत्र का भारतीय करण करने से धर्मराज होगा स्थापित:हिंदुत्व एवं राजनीति पर चर्चा करते हुए एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष महेश चंद्र शर्मा ने कहा, हमारा राष्ट्रवाद भौगोलिक न होकर भू-सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है. विश्व की राजनैतिक राष्ट्र रचना का मानवीकरण होना है तो इसका हिंदूकरण होना आवश्यक है. शर्मा ने कहा कि संविधान का बहिष्कार नहीं, पुरस्कार भी नहीं बल्कि परिष्कार होना चाहिए. लोकतंत्र का भारतीयकरण करते हुए हमें धर्मराज्य स्थापित करने की दिशा में प्रयत्न करने चाहिए. एकात्म मानव दर्शन में व्यष्टि, समष्टि, सृष्टि तथा परमेष्ठी एक ही मानव इकाई में समाहित हैं.