भोपाल। मध्य प्रदेश में नगरी निकाय चुनाव बिना किसी विवाद के बेहतर तरीके से संपन्न हो गए. ऐसे में निकाय चुनाव के बाद अब छात्र संघ चुनाव की मांग भी उठने लगी है. निकाय चुनाव के बाद हर राजनीतिक दल की युवा इकाई छात्र संघ चुनाव के पक्ष में हैं. इसका एक कारण है राजनीति की सीढ़ी कहे जाने वाले छात्र संघ चुनाव का राजस्थान (Rajasthan student union election) में बिगुल बज जाना. राजनीति में पृष्ठभूमि तलाशने वाले छात्रों के लिए छात्र संघ चुनाव अहम होते हैं. ऐसे में यह चुनाव उनके भविष्य का भी फैसला करते हैं. लेकिन मध्यप्रदेश में पिछले कई सालों से छात्र संघ चुनाव नहीं हो रहे हैं.
कमलनाथ सरकार ने कही थी चुनाव कराने की बात:कमलनाथ सरकार ने भले ही इन चुनावों को लेकर एक बार माहौल बना था और छात्र संघ चुनाव की बात कही गई थी. लेकिन वह भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रणाली के बीच में उलझ कर रह गया. पिछले 2 साल कोरोना के चलते सभी जगह प्रभावित हुई. अब एक बार फिर छात्र संघ चुनाव की मांग उठने लगी है. यह मांग दोनों ही छात्र संगठन यानी एनएसयूआई और एबीवीपी एक साथ उठा रहे हैं.
मध्यप्रदेश पीछे क्यों:NSUI के प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष चौकसे (NSUI state president Ashutosh Choukse) कहते हैं कि ''जब राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव हो रहे हैं. और आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में भी छात्र संघ चुनाव होंगे. ऐसे में मध्यप्रदेश पीछे क्यों है. दरअसल इसके पीछे प्रदेश सरकार की मंशा ही नहीं है कि वह छात्र संघ चुनाव कराए. क्योंकि सरकार को डर है कि छात्र संघ चुनाव कराने से नए युवा नेता आ जाएंगे और वह सरकार की नीतियों के विरोध में खड़े होंगे''.