भोपाल।गणेश चतुर्थी के चौथे दिन भगवान के 'गजवक्र' रूप की अराधना की जाती है. कहते हैं कि भगवान के इस रूप की पूजा करने से अभीष्ट सिद्धि और तीक्ष्ण बुद्धि की प्राप्ति होती है. तो आइए गणेश चतुर्थी के चौथे दिन हम आपको भगवान गणेश के चौथे नाम 'गजवक्र' के बारे में बताते हैं. यह भी जानें कि आखिर कैसे तीसरे दिन आप गजानन को प्रसन्न कर सकते हैं.
'गजवक्र' रूप की अराधना
पंडित विष्णु राजोरिया बताते हैं कि भगवान गणेश का चौथा स्वरूप 'गजवक्र' है, इसे 'गजकण' भी कहा जाता है. अत्यंत विशाल देह और मस्तक वाले तथा सूपे की तरह कान वाले, तीक्ष्ण बुद्धि वाला होने के कारण इन्हें अभीष्ट सिद्धि का प्रदाता माना जाता है. गजवक्र या गजकण स्वरूप की आराधना करने से अभीष्ट सिद्धि की प्राप्ति होती है, तीक्ष्ण बुद्धि भी मिलती है.