भोपाल। सरकार पर वादा ना निभाने के आरोप को लेकर आशा-उषा कार्यकर्ताओं ने भोपाल में विधानसभा के सामने प्रदर्शन करने की चेतावनी दी. उससे पहले ही भोपाल में उन्हें नजरबंद कर दिया गया. देर रात तक इन कार्यकर्ताओं को स्टेशन और उसके आसपास ही पुलिस ने कस्टडी में रखा और बाद में समझाइस देकर छोड़ दिया गया. आशा-उषा कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने वादा किया था कि ₹60 प्रतिदिन की जगह ₹10000 महीने वह भुगतान करेगी. लेकिन वह वादा अभी तक नहीं निभाया है. ऐसे में वे भोपाल से जाने को तैयार नहीं है.
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सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप
24 जून 2021 को एनएचएम की तत्कालीन डायरेक्टर छवि भारद्वाज ने आशा-उषा कार्यकर्ताओं को बुलाकर उनकी हड़ताल खत्म कराई थी और आश्वासन दिया था कि, उनके मानदेय में बढ़ोतरी की जाएगी. लेकिन अभी तक मानदेय बढ़ोत्तरी का वादा पूरा नहीं हो पाया है, ऐसे में उन्होंने एक बार फिर विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा के बाहर प्रदर्शन करने की बात रखी. इसको लेकर पुलिस ने इन्हें स्टेशन और आसपास के क्षेत्रों में रोक लिया. भोपाल में रात 9:00 बजे तक इन्हें नजरबंद करके रखा गया, जिसके बाद इन्हें छोड़ा गया. इनका कहना है कि सरकार मानदेय बढ़ाने को लेकर वादाखिलाफी कर रही है, जिसको लेकर इनका यह कहना है कि वे अपना प्रदर्शन आगे भी जारी रखेंगी.
आशा-उषा कार्यकर्ताओं से भयभीत है प्रदेश सरकार
आशा उषा कार्यकर्ता संगठन की प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मी कौरव का कहना है कि मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार को आशा कार्यकर्ताओं से इतना भय लगता है, कि उन्हें धरना स्थल पर जाने से पहले ही गिरफ्तार कर अलग-अलग रखा गया है. वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने अपने संगठन भारतीय मजदूर संघ को खुली छूट दे रखी है, जो भोपाल में किसी भी प्रकार का आयोजन करें, तांडव करें. लेकिन अन्य संगठन अपनी बात भी नहीं कह सकते हैं. कल महिला दिवस है और आज महिला दिवस की पूर्व संध्या पर इतनी महिलाओं की गिरफ्तारी शर्मनाक है. सभी के फोन भी जमा कर लिए गए हैं, किसी एक-दो के पास चोरी छुपे फोन रह गया, जहां से यह खबरें मिल पा रही हैं.
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प्रदेश की आँगनबाडी, आशा-उषा कार्यकर्ता बहनें अपने मानदेय, भुगतान और अन्य 18 सूत्रीय माँगो को लेकर भोपाल में प्रदर्शन करने अनुमति लेकर आ रही थी. लेकिन अचानक से इनकी अनुमति निरस्त कर दी गयी, इन्हें भोपाल की सीमाओं पर ही रोक लिया गया. शिवराज सरकार में इन बहनों को प्रताड़ित किया जा रहा है, इन्हें भोपाल आने से रोका जा रहा है, इनकी बात तक नहीं सुनी जा रही है. लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है, पता नहीं सरकार को इन बहनो से क्या डर है? मैं शिवराज सरकार से माँग करता हूँ कि इन बहनों ने कोरोना के भीषण संकट काल में भी अपनी सेवाएँ दी हैं. इनकी माँगों पर तत्काल सहानुभूतिपूर्ण निर्णय लेकर इनके साथ न्याय किया जाए.