भोपाल।बीजेपी कोर ग्रुप की मीटिंग में शिवराज सरकार के मंत्रियों का सिलेक्टिव सिलेक्शन चर्चा में है. चर्चा ये है कि आखिर इस बैठक में सरकार के कुछ खास मंत्रियों को ही क्यो बुलाया गया. जो कोर ग्रुप की इस बैठक में पहुंचे थे उनमें मंत्री नरोत्तम मिश्रा, भूपेन्द्र सिंह, विश्वास सारंग, जगदीश देवड़ा, अरविंद भदौरिया, मोहन यादव शामिल थे. चलिए इस सिलेक्शन के पीछे भी संगठन और सरकार की कोई वजह हो, लेकिन जिन मंत्रियो को मीटिंग का बुलावा नहीं गया उन मंत्रियों की चिंता ये है कि, चुनावी साल में उनकी सियासी सेहत और कद पर इसका बुरा असर ना पड़ जाए. बैठक में जो नहीं बुलाए गए उन मंत्रियों की बड़ी चिंता ये है कि ये खबर उनके इलाके तक किस तरह से पहुंचाई जाएगी और इसका विधानसभा क्षेत्र पर क्या असर पड़ेगा? सियासी गलियारों में चटकारे के साथ इन मंत्रियों की गैरमौजूदगी को लेकर कई सवाल भी हैं, जिन मंत्रियों को नहीं बुलाया गया कहीं उनका पत्ता तो नहीं कटने जा रहा है. मंत्री जी की भी धड़कने बढी हैं कि कहीं हम संगठन और सरकार के बनाए डेंजर जोन में तो नहीं आ गए. (Andar Ki Laye Hain).
साध्वी की साफगोई के क्या कहने:पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अब तक अपने तल्ख तेवरों के लिए जानी जाती थी. लेकिन सियासत की सांप सीढी ने उन्हें भी बदल दिया है. एमपी में शराबबंदी को लेकर नित नए एलान करने वाली उमा भारती की ऐसी साफगोई कब देखी आपने कि वो कहें मुझे करेक्ट करते रहना मैं बुरा नही मानूगी. खैर उमा भारती ने तो दो कदम आगे बढ़कर ये मंज़ूर भी किया कि शराब बंदी के आंदोलन के पूरे मामले मे उन्होने एलान के बाद कई बार कदम पीछे खींचे हैं. शब्दो में बयां भले ना करें लेकिन साध्वी भी जानती है कि इस सबमें उनकी स्थिति असहज हुई है. लेकिन फिर सवाल ये कि ये सब मंजूर कर लेने के बाद क्या साध्वी अब अपने कहे पर अडिग रह पाएंगी. क्या सात नवम्बर से शराबबंदी को लेकर शुरु होने जा रहा कठिन भ्रमण कार्यक्रम वाकई तय समय से शुरु हो पाएगा. भोपाल में हुई पत्रकार वार्ता में उमा से सवाल था कि आपका आंदोलन खत्म कब होगा और किन शर्तों पर. उमा जवाब दे पातीं उसके पहले पीछे से आवाज़ आई पहले तय तारीख से आदोलन शुरु तो हो जाए. सियासी गलियारों में चर्चा है कि शराब बदी के मामले में कई दफे बदली गई तारीखों के साथ क्या उमा की विश्वसनीयता अब सवालों के घेरे में नहीं आ गई है.