कोरोना का कहर: जनता करे त्राहिमाम, सांसद करें आराम
मध्यप्रदेश में कोरोना के कहर से जनता त्राहिमाम कर रही है. बढ़ते संक्रमण के आगे व्यवस्थाएं दम तोड़ चुकी हैं. अस्पतालों में बेड नहीं, ऑक्सीजन नहीं, श्मशान में लाशों के ढ़ेर लगे हैं. वक्त मुश्किल है और इस मुश्किल वक्त में जनता की उम्मीद प्रशासन और अपने जनप्रतिनिधियों से है. लेकिन मध्यप्रदेश के 29 सांसद क्या अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं क्या वे जनता की मदद कर रहे हैं. एख रिपोर्ट
कोरोना का कहर, जनता करे त्राहिमाम, सांसद करें आराम
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Published : Apr 23, 2021, 7:11 PM IST
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Updated : Apr 23, 2021, 8:09 PM IST
भोपाल.मध्य प्रदेश में कोराना का कहर अपने चरम पर है, लेकिन इससे लड़ने के लिए सरकार की तैयारी सवालों के घेरे में आ गई है. सीएम शिवराज सिंह ने भी कोरोना प्रभारी मंत्रियों और सांसदों की एक पूरी की पूरी फौज मैदान में उतार दी है. जिसका काम संबंधित जिले में जनता की मदद करना, है. लेकिन क्या ये सांसद जनता के मददगार साबित हो पा रहे हैं. इसका जवाब है नहीं. यही वजह है कि लोगों ने अपने लोकसभा क्षेत्र में सांसदों के लापता होने के पोस्टर लगा दिए हैं. भोपाल हो या जबलपुर या फिर प्रदेश का और कोई लोकसभा क्षेत्र जनता के त्राहिमाम करने की स्थिति होने के बावजूद ये सांसद अपने बंगलों और घरों में आराम फरमा रहे हैं. जो सांसद फील्ड में जनता के बीच नजर आ रहे हैं वे कुछ ही नाम हैं जो उंगलियों पर गिने जा सकते हैं.
कोरोना का कहर: जनता करे त्राहिमाम, सांसद करें आराम
सोशल मीडिया पर शंखनाद
कोरोना से परेशान जनता ने अब अपने जन प्रतिनिधियों के खिलाफ शंखनाद कर दिया है. राजधानी भोपाल और जबलपुर में सांसद प्रज्ञा ठाकुर और सांसद राकेश सिंह की गुमशुदगी के पोस्टर लगा दिए हैं. उनके फोन नंबर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. जनता अब जिम्मेदारों से जवाब मांग रही है.
प्रदेश के 80 फीसदी सांसद संकट में छोड़ गए साथ
कोरोना महामारी में परेशान होती जनता ने सोशल मीडिया पर जिम्मेदारों की खोज करने का अभियान भी शुरू कर दिया है. इसी के चलते भोपाल में सांसद प्रज्ञा ठाकुर के लापता होने के पोस्टर लगे हैं. इससे पहले भी बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और उनके बेटे नकुल नाथ के भी गुमशुदा होने के पोस्टर लग चुके हैं. लेकिन कोरोना काल में जनप्रतिनिधियों की गुमशुदगी लोगों का गुस्सा बढ़ा रही है. मध्यप्रदेश में बीजेपी के 29 सांसद हैं. इनमें से इंदौर के शंकर लालवानी, दमोह से प्रह्लाद पटेल (केंद्रीय मंत्री भी हैं) , ग्वालियर से विवेक शेजवलकर जैसे कुछ ही नाम हैं जो जनता की मदद के लिए फील्ड में मौजूद दिखे, लेकिन ज्यादातर माननीय संकट की इस घड़ी में जनता के साथ नहीं हैं
इस सूची में कोरोना काल के दौरान अपने क्षेत्र में सक्रिय दिखाई देने वाले और जनता की मदद करते दिखे सांसदों को एक्टिव और कोरोना काल में भी अपने लोकसभा क्षेत्र की जनता को आसानी से उपलब्ध न रहने वाले सांसद को लापता की सूची में रखा गया है. इन सांसदों के बारे में जनता ने भी अपनी राय जाहिर की है. ऐसे सांसदों के बारे में क्षेत्र की जनता ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए सोशल मीडिया पर अभियान चला रखा है. कहीं-कहीं तो संकट की इस घड़ी में भी सांसदों के क्षेत्र में मौजूद न रहने को लेकर उनके लापता होने के पोस्टर भी लगाए गए हैं.
...दुख में न कोए
ऐसे में यह सबसे बड़ा सवाल है कि आपने जिन्हें आपने अपना वोट दिया, अपना प्रतिनिधि चुना, वे सांसद बने, मंत्री बने क्या उनकी अपने क्षेत्र और प्रदेश की जनता के प्रति इस मुश्किल वक्त में कोई जिम्मेदारी नहीं है ? और क्या वे अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभा रहे हैं ? या वे सिर्फ सत्ता का सुख भोगने के लिए हैं? जनता त्राहिमाम कर रही है, मुश्किल वक्त में नेताओं का काम जनता की सेवा करना है लेकिन माननीय नदारद हैं.