भोपाल।यूं तो पार्ट-ए, पार्ट-बी और पार्ट-सी के रूप में आजादी के बाद से ही मध्य प्रदेश अस्तित्व में रहा है. जिसमें महाकौशल, सेंट्रल प्रोविंसेस, बरार बघेलखंड और छत्तीसगढ़ की रियासत शामिल थी. लेकिन 29 दिसंबर 1953 को राज्य पुनर्गठन आयोग बनने के बाद राज्य के पुनर्गठन के लिए मशक्कत तेज हुई. 1 नवंबर 1956 को संपूर्ण मध्य प्रदेश अस्तित्व में आया. 1 नवंबर 1956 को नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आया मध्य प्रदेश अपना 66वां स्थापना दिवस मना रहा है. आइए इस मौके पर जानते हैं, मध्य प्रदेश की कला संस्कृति और क्षेत्रों के बारे में...
देश के 'दिल' में दिखती है संपूर्ण भारत की झलक
भारत दुनिया भर में भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां हर 50 किलोमीटर पर बोली और संस्कृति बदल जाती है. देश की इस खूबसूरती के लिहाज से सबसे समृद्ध है देश का हृदय यानि मध्य प्रदेश. जो प्राकृतिक संपदा और संसाधनों से समृद्ध होने के साथ ही तरह-तरह की बोलियों, लोक संस्कृतियों और रहन-सहन से रचा बसा है. यह प्रदेश खुद में भारत का एक संपूर्ण दर्शन कराता है. मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां संपूर्ण भारत की एक झलक देखने को मिल जाती है.
मध्य प्रदेश मालवा, निमाड़, बुंदेलखंड, बघेलखंड, चंबल और महाकौशल क्षेत्र का संयुक्त भूभाग है. यहां अलग-अलग जीवन शैली, बोलियां, खानपान और पहचान है. मालवा में मालवीय निमाड़ में निमाड़ी, बुंदेलखंड में बुंदेली, बघेलखंड में बघेली बोलियां आज भी यहां के आत्मीय संवाद का हिस्सा है. यही नहीं इन तमाम इलाकों की कृषि, पुरातात्विक संपदा और भौगोलिक स्वरूप का यहां के रहवासियों पर प्रभाव रहता है. लिहाजा भूमि की उर्वरता और कृषि संसाधनों समेत आय के अन्य स्त्रोतों की बदौलत यहां की संस्कृतियां और लोक-जीवन फला-फूला.
आइये जानते हैं क्षेत्र के हिसाब से मध्य प्रदेश को
महाकौशल
प्रदेश में सबसे ज्यादा प्राकृतिक संपदा से संपन्न यह इलाका कृषि प्रधान है. नर्मदा की जलधारा और नर्मदा तट के दोनों ओर बसें यहां के लोग जीवन में कृषि और प्राकृतिक संपन्नता की झलक मिलती है. धान, गेहूं, गन्ने और दालों का उत्पादक यह अंचल धार्मिक और सांस्कृतिक तौर पर भी समृद्ध है, भाषा के मामले में यहां बखेली, बुंदेली का मिलाजुला असर है.