भोपाल। अपर मुख्य सचिव जे.एन. कंसोटिया ने झाबुआ में नव-निर्मित हेचरी भवन का निरीक्षण कर 15 अक्टूबर तक 30 हजार की क्षमता वाली नई हेचरी मशीन (hatchery machine) लगाने के निर्देश दिया है. कंसोटिया ने कहा कि वर्तमान हेचरी मशीन पुरानी होने से पिछले एक वर्ष में चूजा उत्पादन काफी कम हुआ है.
दाना-पानी-बर्तन क्रय अनुमति एक हजार से बढ़कर 10 हजार रूपये
कंसोटिया ने लेयर हाउस में कड़कनाथ मुर्गा पालन (Kadaknath chicken rearing) का भी अवलोकन किया. प्रबंधक ने बताया कि प्रक्षेत्र पर पक्षियों के दाना एवं पानी के बर्तनों की खरीदी के लिये एक हजार की अनुमति अपर्याप्त है. कंसोटिया ने सामग्री क्रय की अनुमति 10 हजार रूपये करने के निर्देश संचालक मेहिया को दिये. अपर मुख्य सचिव ने नव-निर्मित हेचरी भवन का अवलोकन कर निर्माण कार्य की अनेक कमियों की ओर इंगित करते हुए इन्हें शीघ्र दूर करने को कहा.
क्या है कड़कनाथ की खासियत ?
कड़कनाथ या काला मासी कहा जाने वाला यह मुर्गा मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले की पहचान है. जिसे अपने काले रंग के कारण जीआई टैग (GI tag) मिला हुआ है. कड़कनाथ मुर्गे के शरीर का हर एक अंग काला होता है, यहां तक की इसका खून भी काला होता है. काला रंग ही कड़कनाथ की विशेषता है. मिलेनिन पिगमेंट की अधिकता के कारण इस मुर्गे का रंग काला होता है. कड़कनाथ के मांस में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है, और वसा न्यूनतम मात्रा में होता है. यह हृदय रोगियों और डायबिटीज के मरीजों के लिए उत्तम आहार माना जाता है. क्योंकि इसका मांस स्वादिष्ट वह आसानी से पचने वाला होता है. यही वजह है कि कड़कनाथ की बाजार में काफी मांग है.
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तीन प्रजाति के होते हैं कड़कनाथ
कड़कनाथ की आमतौर पर 3 प्रजातियां हैं, जेड ब्लैक, पेंसिल और गोल्डन. जिसमें से जेड ब्लैक प्रजाति सबसे अधिक और गोल्डन प्रजाति सबसे कम मात्रा में पाई जाती है. नर कड़कनाथ का औसत वजन 1 किलो 80 ग्राम से लेकर ढाई किलोग्राम तक होता है. जबकि मादा सवा किलो से लेकर डेढ़ किलो तक की होती है. मादा कड़कनाथ 1 साल में 110 से लेकर 120 अंडे देती है. इसके अंडे छोटे-मध्यम आकार के हल्के भूरे गुलाबी रंग के होते, जिसका वजन 30 से 35 ग्राम होता है.
कड़कनाथ के डिमांड में रहने की वजह
कड़कनाथ के मांस में नमी 17.5 से 73 परसेंट होती है, जबकि प्रोटीन 21 से 24 प्रतिशत तक पाया जाता है. फेट (Fat) की मात्रा 1.94 प्रतिशत है. जबकि अन्य तत्व 1% हैं. कड़कनाथ की अन्य मुर्गियों से तुलना की जाए तो अन्य मुर्गियों में प्रोटीन 18 परसेंट होता है. जबकि फेट (Fat) 13.25% तक पाया जाता है. इसके अलावा लेनोलिक एसिड कड़कनाथ में 24% होता है, जबकि अन्य मुर्गी में 21 परसेंट. इसके साथ ही कड़कनाथ के मांस में विभिन्न प्रकार के अमीनो एसिड अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. विटामिन बी-1, बी-2, बी-6, बी-12, के साथ विटामिन सी औ विटामिन ई भी कड़कनाथ में अधिक मात्रा में होते हैं.
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ठंड के दिनों में बढ़ती है कड़कनाथ की मांग
जैसे ही ठंड के मौसम की शुरुआत होती है, वैसे ही कड़कनाथ मुर्गे की मांग बड़ी तेजी से बढ़ने लगती है. इसके पीछे की वजह कड़कनाथ मुर्गे के मांस की तासीर को बताया जाता है, क्योंकि कड़कनाथ मुर्गे के मांस की तासीर गर्म होती है. इसी के चलते ठंड के दिनों में कड़कनाथ मुर्गे के मांस का सेवन करने से शरीर को गर्मी मिलती है, जो कड़ाके की ठंड में राहत देने का काम करती है.
कड़कनाथ मुर्गे का पालन मुनाफे का सौदा
बगवानीय गांव के युवा किसान और कड़कनाथ मुर्गा पालक धीरेंद्र डावर ने बताया कि, वह पारंपरिक खेती अभी तक करते आ रहे थे, लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से उन्होंने कड़कनाथ मुर्गे का पालन शुरू किया. इसके लिए बकायदा उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त किया. उसके बाद 10 से 15 हजार रुपये के खर्च कर उन्होंने अपने खलियान में कड़कनाथ मुर्गे पालन के लिए होचरी तैयार की, जिसमें 60 से 80 रुपये के हिसाब से 100 कड़कनाथ मुर्गियों के चूजे खरीदें गए. उसका पालन शुरू किया गया, जो 80 से 100 दिनों के बीच में वयस्क अवस्था में आ गए. कड़कनाथ मुर्गियों के चूजों को व्यस्क अवस्था में लाने के लिए उन्हें 2 से 3 सौ रुपये तक का खर्च लगा.