भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना के बढ़ते कहर ने सूबे की सियासी गतिविधियां उलझा दी हैं. प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों की तारीखें आगे बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं, तो राज्यसभा के चुनाव भी रद्द हो चुके हैं. क्योंकि इस वक्त चुनाव कराया जाना संभव नहीं है. ऐसी स्थिति में अगर चुनाव आगे बढ़ते हैं तो प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति बनी रह सकती है, क्योंकि भले ही शिवराज सरकार सत्ता में है और विश्वासमत भी हासिल कर लिया है. लेकिन 24 उपचुनावों में से उसे 10 सीटें जीतना जरुरी है.
जून या जुलाई में हो सकते हैं उपचुनाव
राज्यसभा चुनाव रद्द होने के बाद इस बात के पूरे आसार नजर आ रहे हैं कि प्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव भी रद्द हो सकते हैं. क्योंकि कोरोना के बढ़ते खतरे के चलते चुनाव आयोग के पास यही एक विकल्प नजर आ रहा है. जबकि अगर स्थितियां और गंभीर होती है तो इसे सिंतबर तक के लिए भी बढ़ाया जा सकता है.
प्रदेश के सभी नगरीय निकायों और पंचायतों के कार्यकाल भी पूरे हो चुके हैं. इन सभी स्थानों पर फिलहाल प्रशासक काम कर रहे हैं. लेकिन कोरोना वायरस के चलते अधिकारियों पर काम बढ़ गया है. ऐसे में निकायों का के चुनाव कराना भी जरुरी हो जाता है. माना जा रहा है कि जैसे ही कोरोना खत्म होगा चुनाव आयोग प्रदेश में सबसे पहले उपचुनाव और नगरीय निकाय चुनाव काराने पर जोर देंगा.
बीजेपी और कांग्रेस को चुनावों का इंतजार
विधानसभा की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर दोनों पार्टियों की नजर टिकी हुई है. क्योंकि बीजेपी को सत्ता में बने रहने के लिए 10 सीटें जीतना जरुरी है, तो कांग्रेस भी इन चुनावों में जीतकर सत्ता में वापसी की उम्मीद में हैं. लेकिन कोरोना के चलते हुए लॉक डाउन से पार्टियां उलझन में फंसी हुई है. क्योंकि ये 24 सीटें प्रदेश के सभी अंचलों में बंटी हुई है. ऐसे में रणनीति तैयार करने के लिए पार्टियों को वक्त की दरकार जरुर है. लेकिन अगर कोरोना वायरस का प्रकोप खत्म होते ही चुनाव की घंटी बजी तो दोनों पार्टियों को नए सिरे से रणनीति तैयार करनी पड़ेगी.