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ग्राम पंचायतों में हो रहा जमकर भ्रष्टाचार, ग्रामीणों ने किया जनपद पंचायत का घेराव - Scam in MANREGA

खंडवा जिले के खालवा ब्लाक में सरपंच सचिव और रोजगार सहायक अधिकारियों की मिलीभगत से मजदूरों का हक मार रहे हैं, इसको लेकर जूनापानी ग्राम पंचायत के सैकड़ों ग्रामीणों ने शनिवार को जनपद पंचायत का घेराव किया और एपीओ को ज्ञापन सौंपकर सभी लंबित कामों को पूरा करने, गांव में पानी व्यवस्था करने के साथ ही आवास और शौचालय निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच करने की मांग की है.

Villagers besiege block panchayat
Villagers besiege block panchayat

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Published : Aug 1, 2020, 6:29 PM IST

खंडवा। खालवा ब्लाक में पंचायतों में सरपंच, सचिव और रोजगार सहायकों का भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है, जिससे परेशान होकर जूनापानी गांव के लोगों ने जनपद पंचायत का घेराव किया, इस दौरान उन्होंने सरपंच-सचिव पर कार्रवाई की मांग को लेकर जनपद पंचायत एपीओ को ज्ञापन सौंपा. ग्रामीणों ने सभी लंबित कामों को जल्द से जल्द पूरा करने, गांव में पानी की व्यवस्था करने के साथ ही आवास योजना और शौचालय निर्माण योजना में हुए भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच की मांग की है.

ग्रामीणों ने शिकायत की है कि गांव के 500 मजदूरों की दो माह तक मजदूरी नहीं दी गई है, वहीं सचिव और रोजगार सहायक न जॉब कार्ड बना रहे हैं और न ही राशन कार्ड में सदस्यों का नाम जोड़ रहे हैं, जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है. ग्रामीणों ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना में भी घोटाला किया गया है. साथ ही सीसी रोड निर्माण और मुक्तिधाम चबूतरा की राशि निकालने पर भी काम पूरा नहीं किया गया. पंचायत की ट्यूबवेल मोटर, सरपंच और सचिव ने अपने निजी स्वार्थ के लिए बेच दी है, जिससे ग्रामीणों को दूरदराज के कुओं से पानी लाना पड़ रहा है.


ग्राम पंचायत जूनापानी में रोजगार सहायक द्वारा किये गए घपले-
1. खेल मैदान जो 2017 से स्वीकृत हुआ लेकिन आज तक नहीं बनाया गया.
2. गांव में सीसी रोड अधूरे बनाये और कागजों पर पूर्ण बताकर राशि निकाल ली गई.
3. मुक्ति धाम के नाम पर लाखों रुपये निकाल लिए लेकिन बनवाया नहींं.
4. PM आवास में अपात्र लोगो को लाभ दिया गया.
5. पेयजल के लिए नलकूप की मोटर बेच दी, जिससे लोग पीने के पानी के लिए परेशान हो रहे हैं.

जनपद पंचायत खालवा आदिवासी ब्लाक होने कारण यहां शिक्षा का स्तर भी कम है, इस क्षेत्र में आदिवासी कम पढे़-लिखे, मजदूर और बेरोजगार लोग रहते हैं, जिसका छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक फायदा उठाते हैं और उनका हक मारकर लाखों रुपए डकार जाते हैं.

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