दमोह। जिले में स्थित कंकाली माता का अनोखा दरबार लोगों की आस्था का केंद्र है. यह दरबार इसलिए भी खास है, क्योंकि इस तरह की प्रतिमाएं प्रदेश में केवल 3 स्थानों पर होने का दावा किया जाता है. इस मंदिर में कंकाली माता विश्राम अवस्था में संसार रूपी बालक को स्तनपान कराती हुई भक्तों को दर्शन देती हैं.
विश्राम अवस्था में है माता रानी की यह अनोखी मूर्ति, संसार रूपी बालक को करा रही है स्तनपान
जिले में स्थित कंकाली माता को लेकर श्रद्धालुओं में काफी आस्था है. यहां माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं. इसकी स्थापना साल 1990 में हुई थी.
साल 1990 में दमोह के इस वीरान क्षेत्र में भरत चौरसिया पंडा द्वारा कंकाली माता की स्थापना की गई थी. दमोह के सुदूर अंचल में माता की प्रतिमा की स्थापना के बाद यहां पर हर साल अब लोगों भारी भीड़ माता के दर्शन के लिए आती है. मंदिर की स्थापना से लेकर यहां के क्रियाकलापों को संपादित करने वाले भरत पंडा कहते हैं कि माता का दरबार अपने आप में अनोखा है. माता की प्रेरणा से ही उन्होंने यह दरबार स्थापित किया था और यह प्रतिमा अपने आप में अनोखी भी है, क्योंकि यह प्रतिमा प्रदेश में केवल 3 स्थानों पर है. एक प्रतिमा रायसेन जिले में स्थित है, तो दूसरी प्रतिमा पन्ना जिले में स्थित है.
प्रदेश में केवल तीन स्थानों पर इस तरह की प्रतिमाओं का पाया जाना और उन स्थानों में दमोह का नाम होना यहां के भक्तों के लिए गौरव की बात है. यही कारण है कि नवरात्र के समय कंकाली माता का यह स्थान लोगों की आस्था और भक्ति का केंद्र बन जाता है. सुबह और शाम के समय होने वाली आरती में भक्त शामिल होते हैं.