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चैत्र नवरात्र का पहला दिन, माता के दर्शनों के लिए सुबह से ही मैहर मंदिर में उमड़े श्रद्धालु - devotees

आज से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो गई. इस मौके पर मैहर स्थित मां शारदा के मंदिर में लाखों की संख्या में भक्त माता के दर्शनों के लिए आए हैं. हर वर्ष 9 दिनों के नवरात्रि मेले में 30 से 35 लाख श्रद्धालु यहां दर्शन करते हैं.

चैत्र नवरात्र का पहला दिन

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Published : Apr 6, 2019, 9:34 AM IST

सतना। चैत्र नवरात्र का आज पहला दिन है और माता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ मैहर मंदिर में रात से ही लगी हुई है. मध्यप्रदेश की पवित्र नगरी सतना के मैहर में स्थित है मां शारदा का भव्य मंदिर, ये 52 शक्तिपीठों में से एक मानी जाती है. यहां हर साल लाखों की संख्या में भक्त माता के दर्शनों के लिए आते हैं.

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान शिव जब माता सती का शव लेकर पूरे ब्रह्मांड में घूम रहे थे, उसी दौरान उनका हार यहां गिर गया था. सती माई का हार इस जगह में गिरने से यह स्थान माई हार के नाम से जाना जाने लगा. जिसका बाद में नाम मैहर पड़ गया. मैहर मंदिर देश के प्रमुख शक्ति पीठों में से एक है. यहां स्थित मां शारदा देवी का मंदिर प्राकृतिक और मनोरम दृश्यों से घिरा हुआ है. माई शारदा त्रिकूट पर्वत के शिखर पर स्थित हैं, जो दूर से ही भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए आते हैं. इस बार भी लाखों श्रद्धालुओं नवरात्र के मौके पर यहां आए हुए हैं.

चैत्र नवरात्र का पहला दिन

चैत्र नवरात्रि आज से शुरू हो गई है. आज मां के शैल पुत्री रूप की उपासना की जा रही है. त्रिकूट वासिनी मां शारदा की पवित्र नगरी मैहर में प्रशासनिक तैयारियां भी पूरी हैं. यहां सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए शारदा धाम में लगभग 162 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. मेले की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एसपी, डीएसपी और थाना प्रभारी सहित 800 जवान तैनात हैं. हर वर्ष 9 दिनों के नवरात्रि मेले पर 30 से 35 लाख श्रद्धालु मंदिर के दर्शन करते हैं.

एक अन्य कथा के अनुसार देवी सती पिता दक्ष द्वारा अपने पति भगवान शिव के अपमान को सहन नहीं कर सकी और वहां मौजूद यज्ञ के हवन कुंड में कूद गई. इस घटना से चारों ओर कोहराम मच जाता है. जिसके बाद भगवान शिव यज्ञ को तहस-नहस कर देते हैं. देवी सती के शव को यज्ञ की अग्नि से निकालकर अपने कंधे पर उठाए ब्रह्मांड में विचरने लगते हैं. मां सती के अंग अलग-अलग स्थानों पर गिरते जाते हैं. जहां भी उनके अंग गिरे, वह स्थान शक्तिपीठ कहलाए.

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