ग्वालियर। राजनीति में जातीय समीकरण का भी अपना एक अलग स्थान है. लेकिन कोई भी पार्टी खुलकर जातिगत राजनीति करने की बात कभी नहीं स्वीकार करती, ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक संख्या दलित और पिछड़े मतदाताओं की है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस वर्ग को लुभाने में जुटी है, लेकिन जब उनसे इस पर सवाल पूछा गया तो दोनों ही पार्टियों ने जातिगत राजनीति करने से इनकार कर दिया.
लोकसभा चुनाव: क्या कहता है ग्वालियर का जातीय समीकरण, पिछड़े और दलित मतदाताओं की संख्या है सबसे ज्यादा - मतदाता
ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक संख्या दलित और पिछड़े मतदाताओं की है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस वर्ग को लुभाने में जुटी हैं.
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ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में दलित और पिछड़े वर्ग के वोटों की संख्या सर्वाधिक है जो हर चुनाव में अपना असर छोड़ते हैं. दरअसल ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में अठारह लाख मतदाता है इनमें दलित और पिछड़े वर्ग के वोटरों की संख्या 10 लाख से ऊपर है, जबकि सवर्ण वोटर 6 लाख के आसपास है. वहीं अल्पसंख्यक मतदाता दो लाख के करीब है, यानी पिछले वर्ग और दलित वोटरों पर सबसे ज्यादा कांग्रेस और बीजेपी का जोर है. यहां तीसरे दल के प्रत्याशी के रूप में बहुजन समाज पार्टी भी मैदान में है, लेकिन ग्वालियर संसदीय क्षेत्र कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही अक्सर झूलता नज़र आया है.
दोनों ही दल जाति समीकरण के आधार पर वोट लेने की बात से इनकार कर रहे हैं. बीजेपी का कहना है कि उनकी पार्टी ने हमेशा सभी वर्गों को अपने साथ रखा है और उनका ख्याल रखा है. वहीं कांग्रेस का कहना है कि जाति वर्ग समाज से लोगों का भला नहीं होने वाला है. कांग्रेस पार्टी ने हमेशा सबको साथ लेकर आगे बढ़ने का काम किया है.