रीवा। नगर निगम ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में घोटाला करते दो एनजीओ को 5 लाख रुपये का भुगतान किया है. जागरूकता संबंधी गतिविधियों के लिए अनुबंधित एनजीओ को बिना कार्य किए ही भुगतान किए जाने का आरोप है.
एमआईसी की बैठक में निर्णय लिया गया था कि भुगतान करने से पहले जिन वार्डों में एनजीओ ने काम किया है, उसका सत्यापन करवाना अनिवार्य है. लेकिन अधिकारियों ने एमआईसी के निर्णय को दरकिनार कर भुगतान कर डाला. आरोप है कि दोनों एनजीओ ने खानापूर्ति की और किसी प्रकार का कोई कार्य नहीं किया.
मामले का खुलासा स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 के लिए एमआईसी पोर्टल में दी फीड में हुआ था. जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और पार्षदों ने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया था. विरोध बढ़ता देख एमआईसी की बैठक में महापौर सहित सभी सदस्यों ने ज्वाला और सृजन दोनों एनजीओ के भुगतान पर रोक लगा दी थी. निर्णय लिया गया कि जिन वार्डों में इन एनजीओ ने काम किया है, वहां के पार्षदों से सहमति पत्र लिया जाए और उनकी रिपोर्ट ली जाए. इसका सत्यापन करने के बाद ही एनजीओ का भुगतान किया जाए, लेकिन निगम अधिकारियों ने पार्षद से बिना सत्यापन करवाए ही एनजीओ संचालक को अंतिम बिल भुगतान कर दिया.
नगर निगम कमिश्नर ने कहा कि पहले ही निगम के द्वारा तीन चौथाई भुगतान किया जा चुका था. उनके कार्यकाल के आने के बाद केवल तीन महीने का भुगतान ही शेष रह गया था. कमिश्नर ने कहा कि उन्हें अब तक मामले की जानकारी नहीं थी. उन्हें प्रस्ताव के बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि जब तीन चौथाई भुगतान हो चुका था, उस पर नियमानुसार अंतिम भुगतान भी किया गया है.